सृष्टि का कल्याण केवल सनातन में ही निहितः भागवत

हरिहर आश्रम में आरम्भ हुआ त्रिदिवसीय दिव्य अध्यात्म महोत्सव


हरिद्वार।
जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज के श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा की आचार्य पीठ पर पदस्थापन के 25 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर श्री दत्त जयंती पर हरिहर आश्रम हरिद्वार में दिव्य आध्यात्मिक महोत्सव का आज शुभारंभ हुआ। समारोह का शुभारम्भ आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने अरणी मंथन के साथ किया।
श्री हरिहर आश्रम के मृत्युंजय मंडपम् में वैदिक सनातन धर्म में समष्टि कल्याण के सूत्र विषय पर धर्मसभा का आयोजन किया गया। धर्मसभा में बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहनराव भागवत ने समष्टि कल्याण के सूत्रों में माता पृथ्वी के रक्षण और संवर्द्धन, प्राकृतिक संसाधनों के विवेक पूर्ण उपभोग, सतत विकास की अवधारणा एवं दान और त्याग की प्रवृत्तियों जैसे कई सूत्रों का अनावरण किया।


उन्होंने कहा कि ज्ञान आपके व्यवहार और चरित्र में अवतरित होने पर ही आप समाज के लिए आदर्श बन पायेंगे। गीता के ज्ञान की विवेचना करते हुए उन्होंने कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन जैसे अन्य सूत्रों का रहस्योद्घाटन किया। सरसंघ चालक मोहन भागवत ने कहा कि हम आज विश्व कल्याण के साथ भय मुक्त विश्व की कामना करते हैं। सृष्टि का कल्याण केवल सनातन में है। ज्ञान भाषण से नहीं आता है। अगर एक शब्द का भी आचरण कर लिया जाए तो दुनिया में परिवर्तन आ सकता है। भगवान श्री राम इसलिए मर्यादा पुरुषोत्तम नहीं कहलाए, इसके लिए उन्होंने मर्यादाओं का पालन किया।


उन्होंने कहा कि अगर हम अपना जीवन बदलंे तो दुनिया में बदलाव आएगा और भारत फिर से विश्वगुरु बनेगा। अकेला सनातन कल्याणकारी सनातन वर्ण का पालन करें तो दुनिया का भला होगा और हमारा भी भला होगा।
इस अवसर पर जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि महाराज द्वारा रचित प्रभात प्रकाशन नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित चार पुस्तकें स्तुति प्रकाश, स्तुति प्रवाह, पथ ऑफ डिवनिटी और टू वर्ल्डस् परफेक्शन का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर सुलभ इंटरनेशनल के प्रमुख दिलीप पाठक को उनके द्वारा देश को स्वच्छ बनाने हेतु किए गए अद्वितीय प्रयास के लिए सम्मानित किया गया।

योगऋषि स्वामी रामदेव महाराज ने कहा कि संपूर्ण धर्मों का निचोड़ सनातन धर्म में ही निहित है और आने वाले कुछ सालों में भारत आर्थिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामरिक शक्ति का केंद्र बन जाएगा। चिदानंद सरस्वती कहा कि हम भारतीयों के चरित्र में भौतिक बल के साथ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक बल भी हो। स्वर्गीय अशोक सिंघल का स्मरण करते हुए साध्वी निरंजन ज्योति ने राम मंदिर का निर्माण इस दशक की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया।

कार्यक्रम के विशिष्ट अथिति हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने संत समाज की महिमा पर प्रकाश डालते हुए संतों की विचारधारा को अग्रसरित करने के लिए साधकों का एवं सामाजिक बुराईयों के अंत के लिए संत समाज का आह्वान किया।

इस त्रिदिवसीय दिव्य महोत्सव के प्रथम दिवस पर स्वामी माधवप्रिय दास महाराज, निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानन्द गिरि, हिन्दू धर्म आचार्य सभा के महासचिव स्वामी परमात्मानन्द, परमार्थ निकेतन के प्रमुख स्वामी चिदानन्द मुनि, स्वामी ब्रह्मेशानंद, सांसद एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता भाजपा राजीव प्रताप रूडी, महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, उत्तराखण्ड के वित्तमंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल, भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल, विश्व हिन्दू परिषद के मार्गदर्शक दिनेश चंद्र, दिव्य प्रेम मिशन के प्रमुख आशीष भाई, सुरेश चव्हाणके, मदन कौशिक, स्वामी अखिलेश्वरानन्द गिरि, प्रभु प्रेमी संघ की अध्यक्षा महामण्डलेश्वर स्वामी नैसर्गिका गिरि, महामण्डलेश्वर स्वामी ललितानन्द गिरि, महामण्डलेश्वर स्वामी अपूर्वानन्द गिरि समेत वरिष्ठ प्रशासनिक व अधिकारी तथा देश-विदेश से बड़ी संख्या में पधारे साधक उपस्थिति रहे।

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