माया के त्याग का उपदेश देने वाले स्वंय मायाजाल में फंसे
हरिद्वार। मोह-माया का त्याग करने का उपदेश देने वाले कथित भगवाधारी स्वंय मोह-माया में इस कदर जकड़े हुए हैं की इनको नीति-अनीति में भी भेद दिखायी नहीं देता। माया के लिए ये वे सब हथकंड़े अपना लेते हैं, जो मर्यादाओं के पूरी तरह से खिलाफ हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कनखल में निवास करने वाले एक संत की जमीन का हिस्सा श्रीकृष्ण की नगरी वृंदावन में है। संत ब्रह्मलीन हो चुके हैं। वर्तमान में अब वह खण्डर में तब्दील हो चुका है। हरिद्वार के एक संत द्वारा उस पर अपने नाम का अब बोर्ड लगाकर स्वंय को ब्रह्मलीन संत का वारिस बताकर कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है। सूत्रांे से मिली जानकारी के मुताबिक कब्जाधारी संत ने उस सम्पत्ति में अपना नाम चढ़वाने के लिए नगर पालिका में प्रार्थनापत्र दिया। जिसके बाद उस सम्पत्ति पर नगर पालिका की ओर से नोटिस चस्पा किया गया है। नोटिस 20 नवम्बर का बताया गया है। जिसके 15 दिन बीत जाने के बाद नाम परिवर्तन की प्रक्रिया आरम्भ हो जाएगी।
वहीं सूत्र बताते हैं कि हरिद्वार का बाबा भले ही नाम परिवर्तन के लिए जुगाड़ लगा रहा है, किन्तु उस सम्पत्ति पर सूत्रों के मुताबिक स्टे हो चुका है। ऐसे में कब्जा करने के प्रयास फिर से खटाई में पड़ चुके हैं।
सूत्र बताते हैं कि जिस सम्पत्ति पर हरिद्वार का बाबा कब्जा करने और स्वंय को ब्रह्मलीन संत का वारिस बताने की कोशिश कर रहा है, वह बाबा न तो ब्रह्मलीन संत का वारिस है और न ही उस संत की परम्परा का है। बताते हैं कि ब्रह्मलीन संत का वारिस बताकर कथित संत कई सम्पत्तियों पर अपना अधिकार जताते हुए कब्जा कर बेच भी चुका है।