राजनीतिक दलों के नजरिए को परखने के बाद हिंदू समाज लेगा वोट के बारे में अपना निर्णय
भगवान शिव की नगरी काशी में चल रही संस्कृति संसद के सकुशल सम्पन्न होने के बाद अंतिम दिन सनातन हिंदू संस्कृति के पांच प्रमुख संगठनों ने संयुक्त प्रेस वार्ता कर संसद के सार को मीडिया के सम्मुख साझा किया।
संयुक्त वार्ता के दौरान कहा कि देश के सभी राजनीतिक दल आम चुनाव 2024 से पूर्व सनातन हिंदू आकांक्षाओं के बारे में अपना मंतव्य स्पष्ट करें। विश्व हिंदू परिषद, अखिल भारतीय संत समिति, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, गंगा महासभा और श्रीकाशी विद्वत परिषद के आह्वान पर संस्कृति संसद में देशभर से आए 1500 संतों और महामण्डलेश्वरों एवं 127 संप्रदायों के प्रमुखों से व्यापक विमर्श के बाद यह अपेक्षा पत्र तय किया गया।

काशी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में संयुक्त प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए श्रीमहन्त रवीन्द्र पुरी, अध्यक्ष, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद व श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव, स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती, महामन्त्री, अखिल भारतीय सन्त समिति, आलोक कुमार, अन्तर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष विश्व हिन्दू परिषद, गोविंन्द शर्मा, संगठन महामन्त्री, गंगा महासभा व प्रो. रामनारायण द्विवेदी, महामन्त्री, श्रीकाशी विद्वत् परिषद् ने कहा कि कोई भी शक्ति किसी भी दशा में समाज को विभाजित करने का कुचक्र नहीं रचे, इसलिए नौ सूत्रीय हिंदू एजेंडा घोषित किया है।

नौ सूत्रीय एजेंडा
1ः- भारतीय संविधान की धारा 30 में संशोधन कर भारत के प्रत्येक सम्प्रदाय को शैक्षिक और सांस्कृतिक संस्थानों को स्थापित एवं सञ्चालित करने के समान अधिकार दिये जाए। प्रत्येक शिक्षण संस्थाओं को अपने पाठ्यक्रम निर्माण और संचालन की स्वायत्तता अनिवार्य रूप से मिलनी चाहिए।
2ः- वक्फ एक्ट 1995 को निरस्त किया जाए अथवा उसमें वक्फ बोर्ड द्वारा किसी भी संपत्ति को वक्फ सम्पत्ति घोषित करने का अधिकार वापस लिया जाए। सम्पत्ति का अधिकार और प्रक्रिया सब सम्प्रदायों के जैसी ही और उतनी ही मुसलमानों को भी रहे।
3ः- संघीय कानून बनाकर हिन्दू मन्दिरों को हिन्दू समाज को वापस दिया जाए।
4ः- पर्यटन मंत्रालय से अलग तीर्थाटन मन्त्रालय बनाकर तीर्थों का शास्त्रीय मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए विकास किया जाए।
5ः-लव जिहाद एवं अवैध धर्मांतरण को रोकने के लिए प्रभावी कानून बने।
6ः-देश में समान नागरिक संहिता लागू की जाए। एक राष्ट्र, एक नागरिकता, एक कानून लागू हो।
7ः- धर्मांतरित लोगों को जनजाति आरक्षण के दायरे से बाहर किया जाए।
8ः- अन्य मतावलम्बियों की तरह मन्दिर के पुजारियों को मानदेय दिया जाए।
9ः- सन्त सेवा प्राधिकरण बनाकर सन्तों की भौतिक कठिनाइयों का समाधान किया जाए।
कहाकि हिन्दू समाज की इन अपेक्षाओं पर भारत के सभी राजनीतिक दल अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करें। राजनीतिक दलों के नजरिये को परखने के बाद हिन्दू समाज अगले आम चुनावों में अपना समर्थन किसको देना है, यह निर्णय लेगा।