हरिद्वार, मां गंगा की नगरी,धर्मनगरी हरिद्वार जिसकी अधिष्ठात्री 51 शक्तिपीठों में प्रमुख मां माया देवी है और जिसके दोनों ओर विल्व व नील पर्वत विराजमान हैं। और जहां से कुछ की दूरी पर राजा दक्ष की नगरी कनखल स्थित है जहा भगवान भूतभावन शिव की ससुराल है। जहां सभी देवी-देवताओं की चरण धूलि पड़ी है। वाकई पौराणिक नगरी कनखल बड़ी विचित्र और दर्शनीय है। जहां आज तक कोई भी बड़ा यज्ञ सफल नहीं हो पाया। वह स्थान जहां महर्षि नारद ने सर्वप्रथम श्रीमद् भागवत का रसपान कराया था। और भी अनेक इसकी विशेषताएं हैं।
परन्तु इस नगरी की एक और विशेषता है। वह यह कि यहां भूत भी अपना जन्मदिन मनाते हैं और इनकी शादी हो जाती हैं और इनके कई बच्चे खेलते फिरते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है तो चलिए आपको बता है।
सनातन शास्त्रों में चार आश्रम ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और अंतिम अव्स्था में संन्यास बताए गए हैं। इनमें सभी का अपना विशेष महत्व है, किन्तु संन्यास आश्रम को विशेष महत्व दिया जाता है। संन्यास धारण करने से पूर्व व्यक्ति को स्वंय के, परिजनों आदि के पिण्डदान आदि कर्म करने होते हैं। संन्यास के बाद व्यक्ति का एक प्रकार से पुर्नजन्म माना जाता है। उसके समस्त रिश्ते-नाते समाप्त हो जाते हैं। व्यक्ति को नया नाम दिया जाता है। इतना ही नहीं गुरु के रूप में पिता मिलता है। संन्यास के बाद व्यक्ति संसार में रहते हुए भी संसार से अलग रहता है।
शास्त्रों के मुताबिक पिण्डदान करने के बाद व्यक्ति भूत हो जाता है। शास्त्रों में उल्लेखित है कि संन्यासी दिखाई देने पर उसको नमस्कार करना आवश्यक है साथ ही यदि संन्यासी का स्पर्श हो जाए तो स्नान करना भी आवयक होता है। शुभ कार्यों में संन्यासी की उपस्थिति भी निषेध बतायी गई है। ना तो संन्यासी को बुलाया जाना चाहिए और ना ही संन्यासी को ऐसे कार्यों में जाना चाहिए। किन्तु वर्तमान में शास्त्रों की बातों को ताक पर रख दिया गया है। आज संन्यासी अपना जन्मोत्सव धूमधाम से मनाते हैं। संन्यासी के लिए अपने स्थान पर काठ की स्त्री की प्रतिमा का भी शास्त्रों में निषेध बताया गया है, किन्तु यहां तो अनेक चेलियों वाले संन्यासी दिखाई देते हैं। कई ऐसे हैं की बिना शादी किए कई बच्चे तक घूमते नजर आते हैं। हाल ही में एक तीन पत्नी वाले बाबा को तो आचार्य बनाने की बात सिरे चढ़ चुकी थी। किन्तु मामला प्रकाश में आने के बाद सब गुड गोबर हो गया। जहां इतनी खूबियां हों तो वह नगर तो अपने आप में विचित्र कहा की जाएगा।