सनातन की प्राचीनता को स्वीकार करने के लिये अशरद मदनी साधुवाद के पात्रः नरसिंहानंद
शिवशक्ति धाम डासना में चल रहे 108 दिवसीय माँ बगलामुखी और सहस्त्र चण्डी महायज्ञ के 29 वें दिन महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने माँ बगलामुखी महायज्ञ की अग्नि के समक्ष जमीयते उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष अशरद मदनी को इस्लाम छोड़ कर सनातन में आने का निमंत्रण दिया।
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने अशरद मदनी को सम्बोधित करते हुए कहा कि अशरद मदनी ने ओम के सत्य को स्वीकार करके मानवता की बहुत बड़ी सेवा की है। उनका यह कहना बिल्कुल सही है कि मनु महाराज ओम की आराधना करते थे। मनु महाराज लाखांे वर्ष पूर्व हुए हैं। उन्ही से सभ्यता और संस्कृति का प्रकाश सम्पूर्ण विश्व मंे फैलना आरम्भ हुआ था तथा सनातन धर्म का विस्तार होना आरम्भ हुआ। यही सभ्यता और संस्कृति अरब में भी फली फूली। अरब में भी अल लात, अल उज्जा और मनात के रूप में माँ महाकाली, माँ सरस्वती और माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती थी और इन तीनों को अल्लाह की बेटी माना जाता था। अरब के प्राचीन अल्लाह और मुसलमानों के अल्लाह में बहुत अंतर है। प्राचीन काल मंे अरब में अल्लाह देवाधिदेव भगवान महादेव शिव को कहा जाता है, जो सम्पूर्ण जगत के लिये लोककल्याणकारी और शुभ हैं।
उन्होंने कहा कि जब तक मुसलमान मोहम्मद के अल्लाह को छोड़कर सनातन धर्म के शिव की शरण में नहीं आते तब तक दुनिया मे शांति कभी सम्भव नहीं होगी। मोहम्मद यह व्यवस्था करके इस दुनिया से गये कि सारे मुसलमान औरत, धन और जमीन जायदाद के लालच में पहले काफिरों अर्थात गैर मुस्लिमों को मारे और फिर आपस मे लड़ कटकर मर जाये। इस्लाम के 73 फिरके होंगे जिनमंे केवल एक जन्नती होगा, बाकी सारे जहन्नमी होंगे। इसका अर्थ है कि सारे के सारे फिरको के मुसलमान स्वयं को जन्नती अर्थात सच्चा मुसलमान समझेंगे तथा और बाकी सबको नकली मुसलमान अर्थात जहन्नमी समझेंगे। अब सच्चे मुसलमान का कर्तव्य होगा नकली मुसलमानो को जहन्नुम भेजना। इसका अर्थ यह है की इस्लाम की जंग काफिरांे को मारकर आपस मे लड़ मरने तक चलती रहेगी। अब अशरद मदनी इस सत्य को स्वीकार करके सत्य और न्याय की ओर आये और सम्पूर्ण मानवता की रक्षा का मार्ग प्रशस्त करें।