यति नरसिंहानंद सरस्वती प्रकरणः- संत समाज का मौन अशुभः अधीर कौशिक

हरिद्वार। इस्लामिक जिहादियो के निशाने पर आए शिवशक्ति धाम डासना के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती विश्व भर में कैंसर की तरह फैल चुके इस्लामिक जिहाद को लेकर दिसम्बर में होने विश्व धर्म संसद पर हरिद्वार के संतों से चर्चा करने और उनका समर्थन मांगने के लिए हरिद्वार आये। जहां उन्होंने आज अपने साथियों और पत्रकारों के साथ वार्ता की।
यहां उनके साथ श्री अखंड परशुराम अखाड़ा के अध्यक्ष पण्डित अधीर कौशिक और हिन्दू स्वाभिमान के राष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष बाबा परमेन्द्र आर्य भी थे।
यति नरसिंहानंद सरस्वती ने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि इस्लामिक जिहादियों के कारण न केवल हिन्दू एक धर्म विशेष ने जिस तरह से सुनियोजित तरीके से अपनी जनसंख्या बढ़ाई है इससे यह निश्चित हो चुका है कि 2029 में भारत का प्रधानमंत्री कोई अन्य धर्म का होगा। भारत का प्रधानमंत्री बनने का अर्थ है कि अगले केवल 20 वर्षों में 40 फीसदी हिन्दुओ का कत्ल हो जाएगा। 50 फीसदी हिन्दू धर्म परिवर्तन करके मुसलमान बन जायेंगे और बचे हुए 10 प्रतिशत हिन्दू विदेशों में या शरणार्थी शिविरों में रहेंगे। इसका अर्थ है कि उसके बाद न तो कोई लोकतंत्र इस देश मे रहेगा और न ही मानवता रहेगी।
उन्होंने कहा कि यह सनातन धर्म का सम्पूर्ण विनाश होगा और इसके बाद दुनिया मे जो भी अच्छा है, वो सब खत्म हो जाएगा। भारत पर कब्जा करने के बाद इस्लामिक जिहाद आज से हजारों गुना ज्यादा खूंखार और खतरनाक हो जाएगा। उन्होंने कहाकि यह स्थिति सम्पूर्ण विश्व के लिए बहुत ही खतरनाक होगी। विश्व को इस विनाशकारी आपदा से बचाने के लिये आज कुछ लोगो को इस्लामिक जिहादियों की गोलियों के सामने अपनी छाती खोलकर खड़ा होना पड़ेगा, ताकि दुनिया इनकी असलियत को जान सके और इनसे लड़ने को तैयार हो सके।
वही पण्डित अधीर कौशिक ने हरिद्वार के सभी हिन्दू धर्माचार्यों से यति नरसिंहानंद सरस्वती का समर्थन और सहयोग करने का निवेदन करते हुए कहा कि आज यति नरसिंहानंद सरस्वती सनातन धर्म की रक्षा की सबसे बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं। केवल इस्लामिक जिहाद का सच बताने के कारण दुनिया भर के इस्लामिक जिहादी आतंकवादी हर कीमत पर उनका कत्ल करना चाहते हैं। अगर हिन्दू समाज विशेष रूप से संत समाज ऐसे में भी यति जी का साथ नही देंगे तो हिन्दू समाज के विनाश को कोई नहीं बचा सकेगा। इस समय पर यति नरसिंहानंद सरस्वती की हत्या के प्रयासों पर संत समाज का मौन बहुत ही अशुभ और धर्म के लिए घातक सिद्ध होगा।

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