दशहरा पर्व पर पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी में उल्लासपूर्वक किया गया शस्त्र पूजन

हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज वे अखाड़े के पंच परमेश्वरों के सानिध्य में विजयादशमी पर शस्त्र पूजन किया गया। इस अवसर पर अखाड़े के प्राचीन अस्त्र-शस्त्रों का पूजन कर अखाड़े के ईष्ट देव भगवान कपिल मुनि व मां शक्ति से सुख-समृद्धि व देश की खुशहाली की संतों ने कामना की।


विजयादशमी पर्व पर सनातन धर्म में शस्त्र पूजन का विधान है। इसी के चलते कनखल स्थित श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी में शस्त्र पूजन किया गया। शस्त्र पूजन में प्राचीन शस्त्र व अखाड़े के देवताआंे के प्रतीक सूर्यप्रकाश व भैरव प्रकाश नामक भालों को पूजन किया गया। इसके अतिरिक्त शस्त्र पूजन में हुनमान जी की ध्वजा सहित चंदन निर्मित गदा व आधुनिक शस्त्रों को पूजन में शामिल किया गया। पूजन कर्म पं. अवधेश शर्मा ने सम्पन्न कराया। इसके पश्चात गोला पूजन किया गया। अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज ने बताया कि गोला भगवान शिव का स्वरूप है।

मान्यता है कि प्राचीन काल में भगवान शिव ने देव, दानव, मानव आदि को अपने अलग-अलग धातुओं व पदार्थों से निर्मित शिवलिंग पूजन का अधिकार दिया। जिसमें दानवों को लौह निर्मित शिवलिंग पूजन, देवताओं को स्वर्ण शिवलिंग व अन्यों को अलग-अलग प्रकार के शिवलिंग पूजा का अधिकार दिया। जिसके बाद सप्तऋषि भगवान की शिव शरण में गए और उन्होंने प्रार्थना की कि भगवान हम संन्यायी हैं और संन्यासी विचरण करता रहता है। ऐसे में वह आपके रूप को कैसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा सकेगें। जिस पर भगवान शिव ने सन्यासियों के लिए भस्म निर्मित गोले के शिव रूप में पूजा करने का अधिकार दिया। तब से सन्यायी भस्म निर्मित गोले के रूप में भगवान शिव की पूजा करते हैं। गोला साहब का स्वरूप अलग-अलग अखाड़ों में अलग-अलग आकृति का होता है। विजयादशमी, दीपावली व अन्य अवसरों पर गोला साहब का पूजन किया जाता है।


शस्त्र व गोला पूजन कार्यक्रम में श्रीमहंत विनोद गिरि ऊर्फ हनुमान बाबा, किशन पुरी, कमल पुरी, किशन गिरि, राम गिरि, विश्वनाथ पुरी, वशिष्ठ पुरी, ज्ञान भारती, सुरेशानंद, संगम गिरि समेत अखाड़े के अन्य संत-महंत उपस्थित थे।

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