जब देश में किसी धर्म का बोर्ड नहीं तो वक्फ क्यों
हरिद्वार। शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा कि जब देश में किसी भी धर्म का कोई बोर्ड नहीं है तो मुसलमान के लिए वक्फ बोर्ड क्यों। उन्होंने कहा कि यह सेकुलर स्ट्रक्चर तथा संविधान के पूर्ण रूप से खिलाफ है। यह सांप्रदायिकता पर कुठाराघात है। वक्फ बोर्ड में संशोधन नहीं बल्कि इसका विसर्जन विसर्जन कर दिया जाना चाहिए।
प्रेस को जारी बयान में स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा कि भारतवर्ष में किसी भी संप्रदाय का कोई बोर्ड नहीं है, तो इस्लाम का भी बोर्ड नहीं होना चाहिए। मुसलमान को खुश करने के लिए जवाहरलाल नेहरू ने इस वक्फ बोर्ड का निर्माण किया था। उसके बाद इसकी आड़ में जो मुट्ठी पर मुसलमान थे ,जो स्वर्ण मुसलमान थे, जो फॉरवर्ड मुसलमान थे जो समृद्ध थे, उन्होंने गरीब मुसलमान की संपत्तियों को लूटकर वक्फ बोर्ड बनाया। उसकी संपत्ति को भाड़े पर दिया और जितनी लूट मचनी थी वह लूट मचाई।
उन्होंने कहा कि यह अनर्गल कानून था, इस कानून को समाप्त कर दिया जाना चाहिए। देश में सबको न्यायालय में जाने का अधिकार है, लेकिन वक्त बोर्ड के खिलाफ किसी भी दूसरे न्यायालय में नहीं जाया जा सकता। केवल ट्रिब्यूनल में ही इसकी सुनवाई होती है। उन्होंने कहा कि एक देश में दो लोगों के लिए दो तरह के विधान नहीं हो सकते, यदि हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध बोर्ड नहीं है, तो मुस्लिम वक्फ बोर्ड भी नहीं होना चाहिए। संत समाज यह मांग करता है की इस बोर्ड का संशोधन नहीं बल्कि तत्काल तत्काल किया जाना चाहिए।
स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा कि वक्फ बोर्ड के संशोधित हो जाने के बाद देश के गृहमंत्री अमित शाह फिर से बिल लाएंगे और यह वक्फ बोर्ड का काला कानून समाप्त कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश का विपक्ष केवल मुसलमान को खुश करने के लिए है। उन्होंने कहा कि जब सीएए आया तो यह कहकर देश की जनता को गुमराह किया कि मुसलमान की नागरिकता चली जाएगी, किंतु सच्चाई सबके सामने आ गई। बिल आने के बाद किसी एक भी मुस्लिम की नागरिकता नहीं गई। वैसे ही हर बार किसी भी कानून के आने पर विपक्ष द्वारा उसको गिराने का प्रयास किया जाता है। विपक्ष केवल मुसलमान की राजनीति करता है और वह मुसलमान के पक्ष में ही खड़ा है।