ब्रह्मा की पत्नी सावित्री की प्रसन्नता के लिए किया जाता है वट सावित्री व्रतः मिश्रपुरी

भारत में दृश्य नहीं होगा सूर्य ग्रहण
हरिद्वार।
भारतीय प्राच्य विद्या सोसाइटी कनखल के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पं. प्रतीक मिश्रपुरी के मुताबिक ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सभी सुहागन महिलायें ब्रह्मा की पत्नी सावित्री की प्रसन्नता के लिए व्रत करती हैं। तथा हमेशा सुहागन रहने का वरदान प्राप्त करती हैं। स्कंद पुराण व भविष्य पुराणों के हिसाब से ये व्रत अपने सौभाग्य की वृद्धि के लिए महिलाएं करती हैं। इसी दिन सावित्री ने अपने पति की रक्षा यमराज से की थी, ये भी कहानी आती है। परंतु सही में इस दिन ब्रह्मा की पत्नी सावित्री देवी से अपने का सदा सुहागन रखने के लिए महिलाएं वट वृक्ष के नीचे मिट्टी का कलश रखकर उसमें मिटी की सावित्री की मूर्ति रखकर उसमें सुहाग का सामान जिसमे हरिद्रा, मंगल सूत्र, डोरी, रोली,केशर से उनकी पूजा करती हैं। तथा अपना सुहाग वट वृक्ष की उम्र की तरह लंबा चलने का वरदान मांगती हैं। उन्होंने बताया कि ज्योतिष के हिसाब से इस दिन अमावस्या को चंद्रमा अपनी उच्च राशि पर आता है, जो की लंबी उम्र प्रदान करता है। कहीं-कहीं पर ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को भी ये व्रत किया जाता है। ये व्रत चतुर्दशी व अमावस्या के मिलन के दिन किया जाता है। श्री मिश्रपुरी ने बताया कि इस बार ये पर्व 9 जून को आ रहा है। जिन महिलाओं के पति का स्वास्थ खराब हो, वो संकट में हो, आपसी संबंध ठीक न हो, तलाक तक नौबत आ गई हो, या पति किसी और महिला के साथ रह रहा हो वो सभी महिलाएं इस दिन व्रत कर सकती हैं, तथा सौभाग्य की प्राप्ति कर सकती हैं। बताया कि कहीं-कहीं ये व्रत पूर्णिमा को भी किया जाता है। परंतु उस दिन चंद्रमा नीच राशि में होता हैं। श्री मिश्रपुरी के मुताबिक अमावस्या का व्रत ही महत्व पूर्ण होता है। इस दिन जल, गुड, सत्तू का दान बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। वट वृक्ष की सात परिक्रमा, ब्रह्म देव की पत्नी सावित्री की पूजा करने से सभी महिलाओं के सौभाग्य में निश्चित वृद्धि होती है।
श्री मिश्रपुरी ने बताया कि 10 जून को सूर्य ग्रहण होगा, परंतु भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा। केवल जम्मू-कश्मीर में 15 मिंनट के लिये दिखाई देगा। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा, इत्यादि में ये दिखाई नहीं देगा। न तो इसका सूतक लगेगा, न मंदिर बंद होंगे, न ही कोई दोष होगा न ही ग्रहण का कोई दान इत्यादि का फल मिलेग । इस कारण से ग्रहण को लेकर निश्चित रहें। श्री मिश्रपुरी के मुताबिक केवल वृष और वृश्चिक राशि वाले जातकों को थोड़ा सा तनाव महसूस हो सकता है।

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