हरिद्वार। सांस्कृतिक मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के उद्देश्य से पारंपरिक लोकगीत और नृत्य का कार्यक्रम उत्तराखंड उत्सव-2022 का आयोजन नगर निगम रुड़की के सभागार में आयोजित किया गया। उद्घाटन राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, मेयर गौरव गोयल द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह, संरक्षक नितिन त्यागी, समिति सचिव राहुल त्यागी समेत समिति के पदाधिकारियों ने मां सरस्वती देवी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उत्तराखंड उत्सव-2022 की औपचारिक शुरुआत की।
उत्तराखंड के थराली से आए लोक गायक सुभाष देवराड़ी, अभिषेक डोभाल, रोशन सुनील कोठियाल, ज्योति बलूनी, प्रदीप कुमार बागचन्द, राहुल राज, आरती कविता खत्री, दीपिका चमोली, तनु कुमार ने उत्तराखण्ड के प्रसिद्व लोकनृत्यों, वीर नृत्य भगवान शिव पर आधारित पांडव नृत्य बारामास नृत्य छपेली व जूमेलो आदि प्रस्तुत किया। इन कलाकारों के साथ स्थानीय कलाकारों ने भी लोकनृत्य एवं लोकगीतों की प्रस्तुति देकर पर देवभूमि पर संस्कृति की छठा जीवंत कर दी। इस दौरान गढ़वाली गीत चौत का चौत्वाल्या पर सभी दर्शक तालियों की गड़गड़ाहट के साथ झूमने लगे। इस सुप्रसिद्ध गीत की राहुल राज, आरती कविता खत्री, दीपिका चमोली की टीम ने सामूहिक प्रस्तुति दी। सचिव राहुल त्यागी ने संस्था की रिपोर्ट प्रस्तुत की। संस्था संरक्षक जितेन्द्र सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यकम का संचालन दिनेश धीमान ने किया। अपने संबोधन में सांसद नरेश बंसल ने कहा कि उत्तराखंड देश का मुकुट है। सनातन धर्म में चारों वेदों की रचना देवभूमि में हुई है और भारतीय संस्कृति की आत्मा उत्तराखंड में है। इस दौरान उन्होंने कहा कि देश की रक्षा और सुरक्षा उत्तराखंड के रणबांकुरों के हाथों में है। आज देश सुरक्षित है। इसका श्रेय उत्तराखंड को जाता है। गंगा और यमुना का उद्गम भी देवभूमि से ही है। नरेश बंसल ने कहा कि कला और संस्कृति के क्षेत्र में उत्तराखंड का कोई जवाब नहीं है।
रुड़की मेयर गौरव गोयल ने युवाओं की भीड़ देख आयोजन समिति को बधाई दी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की युवा पीढ़ी अपनी लोक संस्कृति से जुड़ी है, यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है। मेयर गौरव गोयल ने कहा कि रुड़की की धरती पर आज फिर देवभूमि उत्तराखंड की लोक परंपरा और संस्कृति जीवंत हो उठी है। उत्तराखंड उत्सव-2022 में उत्तराखंड के लोकगीतों एवं लोकनृत्य की धूम रही। इस दौरान लोकगीतों की धुनों पर लोग झूमने को मजबूर हो गए।
संस्थान के संरक्षक जितेंद्र सिंह ने कहा कि संस्कृति समाज और जीवन के विकास के मूल्यों की सम्यक संरचना है। किसी राज्य की लोक संस्कृति और वहां के स्थानीय निवासियों के बीच एक अटूट संबंध होता है। महान हिमालय पर्वत की अद्वितीय सुंदरता, आध्यात्मिक पवित्रता और प्राकृतिक विविधता उत्तराखंड की लोक संस्कृति में नवीन आयाम जोड़ देते हैं।
जितेंद्र सिंह ने कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति में भू-विविधता, भाषायी विभिन्नता, रंग-बिरंगी कलाएं, खान-पान आदि में अनेक विविधताएं दिखाई देती हैं। समाजसेवी नितिन त्यागी ने कहा कि उत्तराखंड कला, संस्कृति और लोक विधाओं से सम्पन्न प्रदेश है। यहां की लोक विधाओं और परम्पराओं ने उत्तराखंड की बरसों से चली आ रही जानकारियों को सहेजना का काम किया है। उत्तराखंड के लोक नृत्य न सिर्फ उत्तराखंड वासियों के सामाजिक सौहार्द को उजागर करते हैं, बल्कि इसमें प्रकृति प्रेम की भी साफ झलक दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है और उत्तराखंड का सांस्कृतिक कला में विशेष योगदान रहा है।

उत्तराखंड उत्सव 2022ः पहाड़ी गीत संगीत से रुड़की हुआ मंत्रमुग्ध


