पीपी की दीक्षा पर खड़े हो रहे कई सवाल, अखाड़े के पदाधिकारी भी घेरे में
उत्तराखंड की अल्मोड़ा जेल में बंद अंडरवर्ल्ड डॉन प्रकाश पांडे उर्फ पीपी को श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े ने दीक्षा देकर जूना अखाड़े का संत बनाया है। दीक्षा के बाद अंडरवर्ल्ड डॉन प्रकाश पांडे का नया नामकरण प्रकाशानंद गिरि दिया गया।
जानकारी के मुताबिक अल्मोड़ा जेल में ही गुरु दक्षिणा देकर प्रकाश पांडे को अखाड़े में शामिल किया गया। प्रकाश पांडे को शिक्षा दिलाने के लिए श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा हरिद्वार से साधु-संत आए थे। प्रकाश पांडे को पहाड़ों के विभिन्न स्थानों जिनमें से मुख्य गंगोत्री भैरव मंदिर, गंगोलीहाट के लंबकेश्वर महादेव मंदिर, मुनस्यारी में कालिका माता मंदिर और काला मुनि मंदिर का मुख्य महंत बनाया गया।
हिंदूवादी नेता कृष्णा कांडपाल ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि अल्मोड़ा कारागार में पहुंचकर थानापति राजेंद्र गिरि, महंत सुरेंद्र पुरी के साथ वह जेल गए। उनके सानिध्य में प्रकाश पांडे को गुरु दीक्षा जेल में जाकर दी गई। जिसके बाद से उनका नया नाम प्रकाशानंद गिरि रखा गया।
वहीं जून अखाड़े के थानापति राजेंद्र गिरि में कहा कि प्रकाश पांडे ने दीक्षा ली है। उन्होंने दीक्षा लेने की धार्मिक धारणा थी। उनके इस कदम से जेल में बंद अन्य लोगों को भी प्ररेणा मिलेगी। इसीलिए श्री दशनाम जूना अखाड़े की ओर से प्रकाश पांडे को दीक्षा गई है। दीक्षा के बाद आगे की प्रक्रिया साल 2025 में प्रयागराज में होने वाले कुंभ में की जाएगी, तभी उनके दायित्वों पर विचार किया जाएगा।
बता दें कि प्रकाश पांडे मूल रूप से नैनीताल जिले के छोटे गांव खनैइया का रहना वाला है। प्रकाश पांडे छोटा राजन का राइट हैंड माना जाता था। कहा जाता है कि छोटा राजन और दाऊद के बीच दरार पड़ी तो पीपी को दाऊद के ठिकानों की जिम्मेदारी दी गई। प्रकाश पांडे वर्तमान में हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।
वहीं जूना अखाड़े के संतों द्वारा पीपी को दीक्षा देने पर कई सवाल खड़े होते हैं। संतों में चर्चा है कि यह वहीं अखाड़े के पदाधिकारी हैं, जिन्होंने पूर्व में महामत्री का दायित्व रहते हुए कई संतों को फर्जी करार देते हुए समाज से वहिष्कृत करने का ऐलान किया था। आज वही लोग जेल में बंद लोगों को दीक्षा देने का कार्य कर रहे हैं। ऐसे में अखाड़ा परिषद की चुप्पी भी बड़े सवाल खड़े करती है।
हालांकि अखाड़ा परिषद का एक गुट तो इस संबंध में शायद ही मुंह खोल पाए। कारण की जिस गुट की अखाड़ा परिषद के श्रीमहंत हरिगिरि महामंत्री हैं, उन्हीं के अखाड़े का यह कारनामा है। ऐसे में सवाल उठता है कि जिन्हें पूर्व में फर्जी करार देकर वहिष्कृत किया गया था, उनका कौन सा बड़ा अपराध था या फिर वह किसी बड़े अपराध में जेल गए थे।