दखलंदाजी करने वालों के खिलाफ जमात व भेख कर सकता है प्रदर्शन
अखाड़े द्वारा दी गई लीज को भी निरस्त करने पर चल रही है मंत्रणा
हरिद्वार। बाबा बनखंडी व बाबा प्रीतम दास की तपोभूमि में अभी और रार के बढ़ने की संभावना है। जिस प्रकार से दो गुटों में अहम् का टकराव हो रहा है और उसको बाहरी तत्वों द्वारा जिस प्रकार से हवा दी जा रही है उसको देखते हुए मामले के अभी और तूल पकड़ने की संभावना है।
बता दें कि अखाड़े की मर्यादा के विपरीत व्यवहार करने के आरोप में बहुमत से संतों ने उदासीन पंचायती अखाड़ा बड़ा के चार संतों को अखाड़े से निष्कासित कर दिया था। जिसके बाद एक पक्ष निर्णय के विरोध में कोर्ट चला गया। जहां से उन्हें फौरी तौर पर स्टे मिल गया। बावजूद इसके कोठारी दामोदर दास ने अपना दायित्व अखाड़े की स्थानीय समिति को सौंप दिया। इसके बाद अखाड़े के संतों ने कुछ नेताओं व भू व्यवसायियों पर अखाड़े की व्यवस्था में दखलंदाजी का आरोप लगाते हुए उन्हें अखाडे के मामलों से दूर रहने की नसीहत दी थी। बावजूद इसके अखाड़ो में उनका जाना लगातार जारी रहा। जिससे अखाड़े के कुछ संत और नाराज हो गए।
अखाड़े के संतों का कहना है कि जब ऐसे लोगों का अखाड़े में कोई दखल नहीं है तो देर रात तक अखाड़े में मीटिंग करने का मतलब क्या है। ऐसा कर कुछ लोग अखाड़े का माहौल खराब करने का कार्य कर रहे हैं। हालांकि मामला तूल न पकड़े इसके भी प्रयास किए गए। सूत्र बताते हैं कि अब संतों के तेवर और उग्र होने के संकेत हैं। ऐसे नेताओं और व्यवसायियों के विरूद्ध अखाड़े के संत जमात और भेख के संतों को बुलाकर धरना-प्रदर्शन करने का मन बना चुके हैं। जिससे ऐसे लोगों के लिए अखाड़े में दखलंदाजी उनके जी का जंजाल बन सकती है।
वहीं अखाड़े की कार्यवाही में ऐसे लोगों के परिचितों को जो अखाड़े की जमीन लीज पर दी हुई है उसकी लीज को भी बैठक कर निरस्त करने की योजना पर अमल किया जा रहा है। कुल मिलाकर चारों ओर से अखाड़े में दखलंदाजी करने वालों को घेरने की संत रणनीति बना चुके हैं।
उधर अखाड़े की स्थानीय संचालन समिति द्वारा निष्कासित कोठारी दामोदर दास को स्थान खाली करने के लिए कई बार अनुरोध करने पर भी खाली न करने पर संत जबरन भी स्थान खाली करवा सकते हैं जिससे उनकी और फजीहत हो सकती है। कुल मिलाकर जिस प्रकार से सूत्रों से जानकारी मिली है उसको देखते हुए अभी और रार बढ़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।