हरिद्वार। बाघम्बरी गद्दी के श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि की मौत के बाद अखाड़े में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पहले नरेन्द्र गिरि को अखाड़े से बाहर करने की योजना तैयार थी, अब नरेन्द्र गिरि की मढ़ी मुतलानी पर ताला लगाने की योजना तैयार की जा चुकी है।
बताते हैं कि 23 दिसम्बर को बाघम्बरी गद्दी के श्रीमहंत बलवीर पुरी हरिद्वार आ रहे हैं। 24 दिसम्बर को नरेन्द्र गिरि की स्मृति में भण्डारे का अखाड़े में आयोजन किया जाला है। अखाड़ा सूत्रों के मुताबिक भण्डारे में नरेन्द्र गिरि के गुरु व बलवीर पुरी के दादा गुरु हरगोविन्द पुरी महाराज भी आएंगे। अखाड़ा सूत्रों के मुताबिक नरेन्द्र गिरि के जाने के बाद बाघम्बरी मठ की टीस अभी भी कुछ महंतों के गले में चुभ रही है। वे किसी भी कीमत पर बाघम्बरी को अखाड़े के नियंत्रण में करना चाहते हैं। अखाड़ा सूत्र बताते हैं कि भण्डारे के बाद मुलतानी मढ़ी के महंतों व पदाधिकारियों के सामने पंचों द्वारा यह शर्त रखी जाएगी की वे या तो बाघम्बरी गद्दी और राजस्थान के डुंगरपुर स्थित खिरम स्थान से कब्जा छोड़े या फिर उनकी मढ़ी में तालाबंदी की जाएगी। बता दें कि खिरम स्थान अखाड़े के स्वामित्व का है। ऐसा ही हाल बाघम्बरी गद्दी का भी है। बाघम्बरी के पूर्व श्रीमहंत बलदेव गिरि महाराज बाघम्बरी को अखाड़े के सुपुर्द कर गए थे। यदि ऐसा होता है तो अखाड़े में रार बढ़ना तय है। बावजूद इसके बाघम्बरी और खिरम पर बलवीर पुरी और हरगोविन्द्र पुरी किसी भी हालात में कब्जा छोड़ने को तैयार नहीं होंगे।
अखाड़ा सूत्रों के मुताबिक वर्तमान में बलवीर पुरी का खेमा अखाड़े में कमजोर पड़ता दिखायी दे रहा है। अखाड़े की 18 मढि़यों में से दस गिरियों की मढ़ी के साथ दो भारती और एक वन मढ़ी भी साथ आने को तैयार है। ऐसे में पांच के मुकाबले में 13 मढि़यां एक तरफ होने की स्थिति में बलवीर पुरी खेमे का कमजोर होना स्वाभाविक है। सूत्रों के मुताबिक बदले हुए समीकरणों में गिरि नामा मजबूत स्थिति में आ गए हैं। जिसके चलते परिवर्तन होना संभव है। सूत्र बतातें हैं कि मुलतानी मढ़ी पर तालाबंदी के बाद एक और अन्य मढ़ी की भी घेराबंदी करने की अदंरखाने तैयारी की जा रही है।
मढ़ी बंद होने से क्या हैं नुकसानः-
मढ़ी बंद होने पर मढ़ी के साधुओं का पंगत में बैठना निषेध
अखाड़े के स्थानों पर आना-जाना वर्जित
अखाड़े के किसी भी संत के स्थान पर जाना निषेध
कुंभ में अपनी पकाओ, अपनी खाओं वाला हिसाब
मढ़ी बंद होने पर पंचों से खर्च-पानी मिलना बंद
मढ़ी बंद होने पर मढ़ी के साधुओं को बुलाने वाले के खिलाफ भी कार्यवाही, यानि की मढ़ी बंद होने का मतलब हुक्का-पानी बंद होना।