भगवाधारी की करामात, गुरु की चेलियों से शिष्य उत्पन्न कर रहे संतानें

अपने शौक के लिए गुरु ने ढूढ़ी नयी गैर सनातनी चेली
हरिद्वार।
इन दिनों सनातन को लेकर चोरों ओर जोर-शोर से चर्चा चल रही है। सनातन खतरे में है, इस प्रकार की चर्चाएं आम हैं, किन्तु सनातन को खतरे में कौन डाल रहा है। सनातन को खतरा आन्तरिक लोगों से है या फिर बाह्य इसको जानना भी जरूरी है।


वास्तव में यदि वर्तमान के हालातों पर चर्चा करें तो सनातन को सबसे बड़ा खतरा स्वंय सनातन के कुछ कथित ठेकेदारों से बना हुआ है। उसमें भी कुछ कथित भगवाधारी हैं। जो धर्म की आड़ लेकर निरंतर धर्म के विरूद्ध कार्य व आचरण कर रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कुछ कथित भगवाधारी पूरी तरह से विलासिता में डूबे हुए हैं। जर, जोरू उनकी कमजोरी बन चुकी है। जिस प्रशंसा और स्त्री से साधु को दूर रहने की बात शास्त्रों ने बतायी है वहीं भगवाधारी माया और मोहनी के पीछे पागल हो रखे हैं।


बात यदि तीर्थनगरी हरिद्वार की करें तो यहां एक कथित भगवाधारी ने एक प्रबुद्ध वर्ग की कही जाने वाली एक महिला को अपना खास बनाया हुआ है। सूत्रों के मुताबिक सबसे बड़ी बात यह कि सनातन को एक समुदाय विशेष से बड़ा खतरा मानने वाले ने स्वंय एक गैर सनातनी को अपनी विशेष शिष्या बनाया हुआ है। सूत्र बताते हैं कि जब बाबा की काम वासना जागृत होती है तो बाबा उसे अपने स्थान पर बुला लेते हैं और रात गुजर जाने के बाद उसे छोड़ दिया जाता है।


वैसे इस बाबा की कारगुजारियांे के किस्से कम नहीं हैं। बाबा ने पूर्व में एक शिष्या बनायी थी। जिसके गर्भवती होने पर उसे अपने एक शिष्य के पल्ले बांध दिया। वहीं बाबा ने एक और अन्य शिष्या बनायी और गर्भवती होने पर उसे भी दूसरे शिष्य के पल्ले बांध दिया। हालांकि पहले वाले शिष्य के भरण पोषण का खर्च बाबा ही वहन करता है, किन्तु दूसरे वाला कुछ होशियार निकला। उसे बड़ी रकम प्रतिमाह तय कर ली और एक आश्रम भी अपने कब्जे में ले लिया।


इतना ही नहीं जिस गुरु ने शिष्या को चेले को भेंट किया था उस चेले ने भी अपनी गुरु मां से दो संताने उत्पन्न कर दीं।
अब बाबा ने शहर के समीप की एक शिष्या को अपनी रातें रंगीन करने के लिए चुना है, जो की सूत्रों के मुताबिक गैर सनातनी बतायी जा रही है।


वहीं श्री पंचदाशनाम जूना अखाड़े के महामण्डलेश्वर स्वामी नरसिंहानंद गिरि महाराज 19 से 21 दिसम्बर तक हरिद्वार में धर्म संसद का आयोजन करने जा रहे हैं, जिसमें सनातन को लेकर चर्चा होगी। जबकि ऐसे भगवाधारियों को लेकर भी चर्चा होनी चाहिए, जो स्वंय को सनातनी कहते हुए सनातन के विरूद्ध आचरण करते हुए उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं।

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