अखाड़े की काय्रप्रणाली के विरोध में जुड़ना शुरू हुए संत
हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के संतों के असंतोष के स्वर तेज हो गए हैं। कुंभ से जाने के बाद अब अखाड़े के संत व्हाट्सअप के माध्यम से चर्चा कर अखाड़े पर अपनी भड़ास निकालने लगे हैं। जिसको देखते हुए लगता है कि अखाड़े में सब कुछ सामान्य नहीं है और यह कभी भी विकराल रूप धारण कर सकता है।
व्हाट्सअप पर हुई संतों की चर्चा में राजस्थान में निवास करने वाले एक संत ने चर्चा में लिखा की अखाड़े का अस्तित्व खतरे में है। अब अखाड़े के सम्माननीय पदों पर, दुष्ट और कॉलनेमियों का कब्जा हो गया है। नीच जाति के लोगों को सम्माननीय पदों पर बिठाया जा रहा है। हिजड़ों को अखाड़े का मंडलेश्वर बनाया जा रहा है। क्या अब यही है। इनके आगे हम ओंकार उठाएंगे। आदि गुरु शंकराचार्य जी की फौज अब गृहस्थी और अज्ञानीओं के आगे हिजड़ों के आगे साष्टांग दंडवत ओमकार उठाएंगे अखाड़े के बारे में ना जानने वाले समझने वाले कोई संत नहीं रहे सब गुंडे, चापलूस और धूर्त लोग अखाड़े के पूजनीय पदों पर विराजमान हो गए हैं। हिमाचल ज्वालाजी निरंजनी अखाड़े का कोई नाम निशान नहीं रहा। इसी तरह भारत के अनेक राज्यों में अखाड़े का नामोनिशान नहीं रहा।
इलाहाबाद की जमीन गढ़ बड़ा, मांडा, नेडी, सिकटा, हरिद्वार, ओमकारेश्वर, नत्थेवाला बाग, बिक चुका है।
कनखल जगदीशपुर लगभग बिकी ही चुका है। अखाड़े की पीछे की सारी जगह बिक चुकी है। नाला बिक चुका है। इलाहाबाद मेले से पहले सेव पार्किंग बिक जाएगी। कोई अच्छा ग्राहक मिल जाए तो निरंजनी अखाड़ा ही बिक जाएगा। बहुत जल्द पंचायती भोजन का सिस्टम बंद हो जाएगा। अखाड़े की सारी रस्मो रिवाज खत्म हो चुके हैं। अखाड़े में आने वाले पैसा जिससे अखाड़े का संचालन होता था वह आना बंद हो गया है। सब ने अपना पर्सनल निजी अधिकार कर लिया बना लिया है। करनाली, माउंट आबू, बड़ौदा, इलाहाबाद, मनसा देवी, त्रिंबक, वीरभद्र ऐसी ऐसी अनेक जगह हैं जिनसे अखाड़े के महात्माओं का पालन पोषण होता था, वह सब बंद होने के कगार पर है, लेकिन कोई बोलने को तैयार नहीं है। आसन धारियों का बोरिया बिस्तर साफ हो चुका है। अखाड़े के सभी मणियों के बुजुर्ग महात्माओं को अखाड़े से बाहर कर दिया गया है या फिर उन्हें मार दिया गया है। जितने भी आसन धारी बने हैं सब एक हो जाओ रमता पंच और जुंडी यह मैसेज आगे से आगे फॉरवर्ड करें अगर तुम निरंजन देव के सच्चे सन्यासी हो, सच्चे चेले हो निरंजनी अखाड़े के महात्मा हो तो इसे फॉरवर्ड करो प्रत्येक महात्मा तक यह मैसेज पहुंचाओ। ओम नमो नारायण सेनापति देव की जय सभी अभ्यागत महात्मा निरंजनी अखाड़े के।
इसके लेख के जवाब में दूसरे संत ने लिख कि
सच्ची इच्छा उत्पन्न होने का उपाय नाम का जप है –
मरने से पहले-पहले अपनी ओर से भगवान् के चरणों में पूर्ण समर्पण की सच्ची इच्छा अवश्य हो जानी चाहिये। नहीं तो इससे अधिक हानि और कुछ भी नहीं है। ऐसी इच्छा उत्पन्न होने का इस युग में एकमात्र उपाय है, निरन्तर भगवान् के नाम का जप। और कोई भी साधन बड़ा कठिन है। कंजूस के धन की तरह एक क्षण भी व्यर्थ मत खोइये, निरन्तर नाम लीजिये।
वहीं तीसरे ने लिख कि
निरंजनी अखाड़े के सभी महात्माओं को अपने अस्तित्व के लिए लड़ना चाहिए कहीं ऐसा ना हो नागाओं वाली हवेली की तरह तुम्हें अखाड़े के दर्शन, बाहर से ही करने पड़ सकते हैं।
एक अन्य संत ने उत्तर में लिख कि……… सुनने में आता है निरंजनी अखाड़े के एक महान संत सूरज गिरी महाराज हुआ करते थे। सिंध प्रांत में जिन्होंने सूर्य भगवान को इस पृथ्वी पर आने के लिए मजबूर कर दिया था। विचार करने वाली बात है इस अखाड़े में बड़े-बड़े सिद्ध तपस्वी पैदा हुए हैं। इतिहास देख सकते हैं। आप मुल्तान से जुड़ा हुआ केशव पुरी जी महाराज के बारे में पढ़ सकते हैं ।बहुत सारी कथाएं हैं हमारे अखाड़े के संतो की जो हम लोगों को बताया ही नहीं जाता है। कभी सिखाया ही नहीं जाता है। इन सब बातों में विचार करना चाहिए कहीं मरते समय ऐसा ना हो अगला जन्म स्वान योनि में मिले कुत्ते का जीना पड़ जाएगा
इसी प्रकार एक अन्य संत ने लिखा कि……….
श्री तपोनीधी दशनाम नागा सन्यासी पंचायती श्री निरंजनी अखाडा नाम भी था तब अब तो सिर्फ श्री निरंजनी अखाडा पंचायती रह गया है।
स्वामी जी आप सही कहते पहले अखाड़ा संतों को पैदा करता था। तपस्वी होके पैदा करता था। वीर योद्धाओं को पैदा किया करता हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है अखाड़े की कोई शिक्षा प्रणाली नहीं है। रक्षा प्रणाली नहीं है। अखाड़े में दूरदर्शिता की बहुत भारी कमी है। जो अखाड़े का व्यवहार अखाड़े के रीति रिवाज है। अखाड़े की सभ्यता मान मर्यादा है उसकी नष्ट कर दिया जाता है।
इसका कारण है अखाड़े के साधुओं को अखाड़े के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं होता। अखाड़ा क्या है किसलिए बनाया गया है। अखाड़े के क्या कर्म हैं। अखाड़ा कहां कहां है। मैं अखाड़े में क्या महत्व रखता हूं। अखाड़े के लिए मैं क्या हूं। मैंने अपना पिंड दान किस लिए कर दिया ।मैं दुनिया में नंगा किस लिए होकर घूम रहा हूं। अखाड़ा मेरे जीवन में क्या महत्व रखता है। मुझे अखाड़े के लिए क्या करना चाहिए। हम लोगों को कुछ भी नहीं पता है। इसी दौरान अखाड़े में कुछ चतुर गुंडे लोगों की एंट्री हो जाती है। वह आपकी ताकत को ही आप लोगों के लिए हथियार बना देता है। आपको बाहर कर देता है। आप लोगों को वहां पर रहने नहीं देता है। बाहर स्थानों में रहो आपको कहीं भी जगह नहीं मिलेगी। आपका 35 साल का जीवन 50 साल का जीवन धोखे में जी गए। आपको ऐसी भावना पैदा होगी फिर क्या करोगे धोबी का कुत्ता घर का ना घाट का। इसलिए अपनी आवाज बुलंद करो लड़ना सीखो, बोलना सीखो, आगे बढ़कर बोलो सब तुम्हारे साथ हैं। सेना पतिदेव का नाम लो गुरु महाराज के 12 हाथ हैं 12 आंखें हैं कोई बच नहीं सकता।
वहीं एक अन्य संत ने लिख कि………..अखाड़ा अपने आप में बहुत महत्व रखता है अखाड़े के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं कर सकता है। ऐसा पुराने गुरु लोग करके गए हैं। सरकार बहुत कम अखाड़े के विषय में बोलेगी। यहां पर अखाड़े के बोलने का संपूर्ण अधिकार शंभू पंच रखता है। जिसमें अखाड़े के सभी साधु महापुरुष नागा महंत कारोबारी जितने भी होते हैं सब आ जाते हैं। आपने देखा होगा जब कुंभ मेला चलता है पंच का काम कुछ नहीं होता है। सिर्फ प्रधान जी की प्रधानी चलती है जैसे सरकार में राष्ट्रपति शासन।
इसके प्रतिउत्तर मे देसरे संत लिखते हैं कि महापुरुष हो तब तक आप मणि के अधीन हो। नागा बनते ही आप अखाड़े के सैनिक हो। जो अखाड़े के मालिकाना हक रखता है। इसीलिए तुम लोगों को आसन धारी बनवाया गया था ताकि आप अखाड़े के लिए लड़ो अपनी गर्दन कटवा दो अगर तुम मर भी गए तो तुम्हें सद्गति ही मिलेगी। कैलाश में वास मिलेगा। भगवान शंकर के श्री चरणों में तो सभी से निवेदन करो सब के अंदर गुरु महाराज भगवान सेनापति देव के सैनिक होने का भाव प्रकट करो। कायरता छोड़ो तुम निरंजनी अखाड़े के साधु हो। महापुरुषों की साईं निकलती है। इलाहाबाद में क्यों निकलती है। एक छोटा सा महात्मा ध्वजा के बंद काटने पर इतनी बड़ी वीरगति प्राप्त हुआ उसकी जय बोलती है। नागा कोई भी उस में नहीं जा सकता है। इसलिए खुद के अंदर सत्य सनातन के प्रति अटूट आस्था विश्वास उत्पन्न करो। वह कैसे महात्मा होंगे। जो लोग अखाड़े में रहते थे सुबह हर रास सुने बिना अन्न जल ग्रहण नहीं करते थे। उनके यम नियम कितने मजबूत है एक 1 1 आना देकर के अखाड़े की संपत्ति जोड़ी थी। उन लोगों के लिए कि आने वाली पीढ़ी यहां से धर्म का प्रचार प्रसार कर सके हम लोग क्या कर रहे हैं।
संतों की इस चर्चा से अनुमान लगाया जा सकता है कि अखाड़े में सब कुछ ठीक नहीं है। आने वाले समय में बड़ा विस्फोट संतों के अखाड़े की कार्यप्रणाली के विरोध में मुखर होने से हो सकता है।