एसआईटी और शिक्षा विभाग की जांच में बीएड की डिग्री फर्जी पाए जाने के बाद देहरादून के राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कामला, कालसी ब्लॉक में तैनात सहायक अध्यापक की सेवा समाप्त कर दी गई है। अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा गढ़वाल मंडल ने ये आदेश जारी किया है। इससे पहले शिक्षक को बीते साल नवंबर माह में सस्पेंड कर दिया गया था। शिक्षक ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर 13 साल विभाग में नौकरी की।
अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा गढ़वाल मंडल एमएस बिष्ट द्वारा जारी बर्खास्तगी आदेश के मुताबिक शिक्षक खिलेश लाल निवासी अगस्त्यमुनि ब्लॉक रुद्रप्रयाग ने 2006 में रुद्रप्रयाग जिले के प्राइमरी स्कूल जखवाड़ी से बतौर सहायक अध्यापक अपनी सेवा शुरू की। इसके बाद मार्च 2008 में एलटी संवर्ग में उसका नाम आया था। बताया कि किसी ने शिक्षक के फर्जी बीएड की डिग्री होने की शिकायत की थी। शिकायत के बाद इस मामले में शिक्षक खिलेश लाल के प्रमाण पत्रों की एसआईटी ने 2020 अगस्त माह में जांच शुरू की। एसआईटी ने मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून से शिक्षक के सभी प्रमाण पत्र मांगे। एसआईटी ने शिक्षक की बीएड की डिग्री चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ की होने के चलते उसे जांच के लिए कॉलेज में भेजा। जांच के बाद शिक्षक की डिग्री का रोल नंबर विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड में नहीं मिला। जिससे साफ हो गया कि शिक्षक की बीएड की डिग्री फर्जी है। इस पर एसआईटी ने डिग्री फर्जी मिलने पर कार्रवाई के लिए महानिदेशक शिक्षा को दिसंबर 2020 को पत्र लिखा।
अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा गढ़वाल मंडल ने 25 जनवरी 2021 को इस प्रकरण की विभागीय जांच के निर्देश दिए। फरवरी 2021 में इस मामले में एलटी शिक्षक के विरुद्ध थाना कालसी विकासनगर में एफआईआर दर्ज करवाई गई। साथ ही विभाग ने शिक्षक को अपना पक्ष रखने का मौका भी दिया। लेकिन शिक्षक अपनी बीएड की डिग्री को लेकर कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका। दोनों ही जांचों में बीएड डिग्री के फर्जी मिलने के बाद अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा गढ़वाल मंडल ने नवंबर 2021 को एलटी शिक्षक को निलंबित कर दिया।
इसके तहत ही अब अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा गढ़वाल मंडल एसएस बिष्ट ने एलटी शिक्षक खिलेश लाल की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा गढ़वाल मंडल ने बताया कि इस मामले में एलटी शिक्षक को पर्याप्त समय दिया गया था। बावजूद इसके बाद भी वह अपनी बीएड की डिग्री को लेकर समुचित साक्ष्य नहीं दे पाया, जिस पर सेवा समाप्ति का आदेश जारी किया गया।