हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि महाराज ने कहाकि कैलाशानंद गिरि ही निरंजनी अखाड़े के आचार्य हैं। पूर्व में काशी में स्वामी प्रज्ञानानंद महाराज को आचार्य बनाया था, किन्तु उनके व्यवहार और चरित्र के कारण तथा सनातन परम्पराओं से दूर रहने के कारण व अखाड़े के अनुशासन के विपरीत पाए जाने पर उन्हें हटाकर स्वामी कैलाशांनद को आचार्य बनाया गया।
उन्होंने कहाकि वे अभी भी कह रहे हैं की वे आचार्य हैं, किन्तु हरिद्वार आने के बाद भी वे अखाड़े नहीं आए। उन्होंने कहाकि स्वामी प्रज्ञानांनद यह कहते फिर रहे हैं कि आचार्य बनने के लिए उनसे धनराशि ली गयी, किन्तु अखाड़े ने उनसे कोई धन नहीं लिया। उन्होंने कहाकि अखाड़े की जो परम्परा है की आचार्य या मण्डलेश्वर बनने पर भण्डारे व दक्षिणा में जो खर्च हुआ वहीं उनके द्वारा खर्च किया गया और यह सभी अखाड़ों की परम्परा है। श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि ने कहाकि स्वामी प्रज्ञानांनद को ऐसा दुष्प्रचार उन्हें नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहाकि आचार्य पद से हटाए जाने के बाद वे भारतीय जनता पार्टी कार्यालय भी शिकायत लेकर गए थे। उन्होंने कहाकि स्वामी प्रज्ञानांनद ने कभी भी अखाड़े को एक रुपया तक नहीं दिया उनके जो आरोप हैं वे बेबुनियाद हैं। उन्होंने स्वामी प्रज्ञानानंद गिरि को हिदायत देते हुए कहाकि उनके द्वारा लगाए जा रहे आरोपों का खण्डन करें अन्यथा उनके खिलाफ मानहानि की कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने किसी भी राजनेता व संतों से स्वामी प्रज्ञानानंद की बातों में न आने की अपील की।