स्वामी अविमुक्तेश्वर आनंद व स्वामी सदानंद दोनों ही फर्जी शंकराचार्य: प्रज्ञानानंद

हरिद्वार। ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के कृपा पात्र शिष्य निरंजन पीठाधीश्वर स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज ने हरिद्वार प्रवास के दौरान शनिवार को बताया कि ज्योतिष व शारदा पीठ पर कथित रूप से विराजमान स्वयंभू शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वर आनंद सरस्वती व स्वामी सदानंद सरस्वती दोनों ही फर्जी है, जिस वसीयत को लेकर वह शंकराचार्य होने का दावा करते हैं वह वसीयत भी फर्जी है।

उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने भी उनके शंकराचार्य व पत्ताभिषेक को लेकर रोक लगाई हुई है। बावजूद इसके उनका शंकराचार्य लिखना न्यायालय की अबमानना है। उन्होंने बताया कि जिस कथित फर्जी वसीयत के आधार पर वह अपने को शंकराचार्य कह रहे हैं वह किसी अधिवक्ता या न्याय प्रक्रिया से जुड़े किसी अधिकारी के द्वारा लिखित नहीं है। उस वसीयत को उनकी कथित सहचरी नंदिनी उर्फ़ पूर्णिबा द्वारा लिखा गया है। जबकि व्यक्ति यदि स्वयं वसीयत लिखता है तो किसी कानून के जानकार का सहयोग लेकर के लिखता है, किंतु पेश की जा रही कथित वसीयत में ऐसा कुछ नहीं है।

स्वामी प्रज्ञानानंद कहा कि समय आने पर वह सत्य दस्तावेज संपूर्ण समाज के साथ सामने उद्घाटित करेंगे। साथ ही शंकराचार्य कौन होगा इसका भी समाज के सामने खुलासा करेंगे, क्यों की जिस वसीयत को दोनों के द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा है वह वर्ष 2017 की है, जबकि ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज 2020 में इस बात का खंडन कर चुके हैं कि उन्होंने किसी को भी शंकराचार्य पद के लिए नियुक्त नहीं किया है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इन सभी तथ्यों का खुलासा किया जाएगा।

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