हरिद्वार। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के महामण्डलेश्वर व हिंदू रक्षा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रबोधानंद गिरि महाराज ने रविवार को पत्रकारों से वार्ता करते हुए निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज पर बड़ा हमला किया है। उन्होंने पीठाधीश्वर को कलयुग का कालनेमि तक करार दे दिया।
रिक्शा यूनियन बस अड्डा हरिद्वार के कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए उन्होंने कहाकि स्वामी कैलाश आनंद गिरि के एडवोकेट अरुण भदौरिया द्वारा भेजे गए पत्र के संबंध में उन्हें मीडिया के माध्यम से ज्ञात हुआ की उन्होंने कोई कानूनी नोटिस भेजा है।
नोटिस के जवाब में एड. अरूण भदौरिया द्वारा स्वामी कैलशानंद गिरि को अपना गुरु बताने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहाकि आप जैसे पढ़े लिखे समझदार अधिवक्ता भी ऐसे तथाकथित गुरुओं में कैसे फंस गए। कहाकि सतयुग में भी राक्षस रावण एवं कालनेमि के कारण माता जानकी का अपहरण हुआ उसका परिणाम राम रावण युद्ध हुआ। वर्तमान में कलयुग के प्रभाव से जगह-जगह कालनेमियों की बाढ़ आई हुई है, उनसे समाज की रक्षा में आपकी और मेरी कोई भूमिका हो सके तो यह राम कार्य ही होगा जिससे अनेकों जानकियों के अपहरणों को रोका जा सके।
स्वमी प्रबोधानंद गिरि महाराज ने कहाकि आप भ्रम बस अपना गुर बता रहे हैं, वह कलयुग का एक बड़ा कालनेमी राक्षस है, जो समाज के लिए बहुत बड़ा कलंक एवं घातक है। निरंजनपीठाधीश्वर ने अब तक अपने अनेकों नाम व वेश बदले हैं। कभी वह कैलाश, कभी कैलाश यादव, कभी कैलाशदास, कभी कैलाशानंद ब्रह्मचारी और अभी वर्तमान में स्वामी कैलशानंद गिरि के नाम से जाना जाता है। यह व्यक्ति श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े का आचार्य महामंडलेश्वर के रूप में भी जाना जाता है तथा वह देश के बड़े-बड़े लोगों की आंखों में धूल झोंकता है तथा उनके साथ मंच आज भी साझा करता है।
उन्होंने कहाकि आध्यात्मिक जगत में दीक्षा गुरु एक ही होता है और वह एक नाम देता है। तथाकथित आपके गुरु स्वामी कैलशानंद गिरी अभी तो अनेकों गुरु बदल चुके हैं। अनेकों छदम नाम रख चुके हैं। अनेकों छदम वेश बदल चुके हैं। इतना ही नहीं हजारों रुपयों के वस्त्रों के आकर्षण एवं लाखों रुपए के गहनों के आकर्षण से तथा धन के बल के प्रभाव से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी के साथ भी मंच साझा कर चुके हैं। बार-बार नाम व वेश बदलकर समाज को धोखा देने का कार्य करते रहते हैं जिसके कारण समाज भ्रमजाल में फंस जाता है जो समाज के साथ धोखाधड़ी है। ऐसे मायावी लोगों के कारण सनातन संस्कृति बदनाम होती है।
स्वामी प्रबोधानंद गिरि महाराज ने कहाक जिसे मैं आचार्य महामंडलेश्वर मानता रहा वह एक ढोंगी, पाखंडी, प्रपंची, धोखा देने वाला व्यक्ति निकला जिसके कारण निरंतर सनातन धर्म की प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है। उन्होंने सवाल करते हुए तथाकथित गुरु का असली नाम एवं वेश ज्ञात कर समाज को अवगत कराने की भी मांग की। क्योंकि आपके नोटिस के द्वारा ही अनेकों प्रश्न स्वयं खड़े हो गए हैं जिनका उत्तर समय-समय पर देता रहूंगा।
उन्हांेने अनुरोध करते हुए कहाकि आप अपने गुरु स्वामी कैलाशानंद गिरी को एक बात अवश्य समझा दीजिए। अपने अपराधी गैंग से अभी मेरी हत्या न करायें, क्योंकि मैं उनके सभी काले कारनामे आपके और समाज के सामने रखूंगा। क्योंकि मुझसे पूर्व भी उनके काले कारनामों को बताने वालों की हत्याएं हो चुकी हैं।


