स्वामी रामानंद गिरि का दाह संस्कार मर्यादा के खिलाफ
हरिद्वार। निरंजनी अखाड़े के संत स्वामी मोहन गिरि महाराज ने कहाकि अखाड़ा सभी संतों का है। इस पर किसी व्यक्ति विशेष का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहाकि अखाड़े में हो रहे अन्याय के खिलाफ भी सभी संतों को बोलने का अधिकार है। उन्होंने कहाकि अब तो हालात ऐसे हो गए हैं कि संतों को स्थान पर आकर मारने तक की धमकी दी जाने लगी है। कहाकि हमारी पहचान तो निरंजनी अखाड़ा है। हमें फेसबुक व व्हाटसअप एकांउट भी निरंजनी अखाड़े के नाम से बनाने का अधिकार है। हम जहां भी जाएंगे अपने घर की पहचान ही बताएंगे। श्रीमहंत नरेन्द्र पुरी महाराज भले ही किसी के लिए गिरि नामा हों किन्तु हमारे लिए तो वे पुरी नामा ही हैं। जो लोग कल तक श्रीमहंत नरेन्द्र पुरी का विरोध करते थे आज वहीं उनके गुणगान कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि निरंजनी अखाड़े के हरियाणा में रहने वाले उनके मेरे पास है।
स्वामी मोहन गिरि महाराज ने कहाकि हरिद्वार में बीते रोज मरने वाले स्वामी रामानंद गिरि निरंजनी के संत थे। अखाड़े ने उन्हें निकाल दिया। अस्पताल में वह अकेले पड़े रहे। किसी ने उनको पूछा तक नहीं। उन्होंने कहाकि अखाड़े में रामानंद पुरी के अलावा एक अन्य संत की भी पिटायी की गयी थी। स्वामी मोहन गिरि महाराज ने कहाकि सबसे दुःखद यह है कि संन्यासी की मौत के बाद उसका दाह संस्कार कर दिया गया। जबकि संन्यास में दाह संस्कार निषेध है।
उन्होंने कहाकि इतना बड़ा परिवार होने के बाद भी एक संन्यासी का दाह संस्कार करना बड़ा अपराध है। उन्होंने कहाकि अखाड़े का काम केवल इतना ही है कि साधु बनाओ और छोड़ दो। कहाकि जिस व्यक्ति ने संन्यास में इतने वर्ष व्यतीत किए उसे अकेला छोड़ दिया और उसका दाह संस्कार कर दिया गया। उन्होंने कहाकि आज हमें नरेन्द्र गिरि के चेले बाघम्बरी के नाम से धमकी दे रहे हैं। हमारा नरेन्द्र गिरि से कोई विरोध नहीं है। विरोध व्यवस्था से है। उन्होंने कहाकि जो लोग हमें स्थान पर आकर मारने की धमकी दे रहे हैं उन्हें अपने गुरू से इस बात को कहना चाहिए की अभी तक अखाड़े के जो संत मरे हैं उनकी जांच करवानी चाहिए। स्वामी मोहन गिरि ने कहाकि अखाड़े के एक संत ने उन पर शिष्या बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहाकि जब संत को शिष्या बनाने का अधिकार नहीं है तो अखाड़े में महिला संत कैसे मण्डलेश्वर बन जाती हैं। उन्होंने कहाकि हम तो शमशान में रहकर भगवान का भजन करते हैं, किन्तु किसी संत को धमकी देने का काम नहीं करते। आज अखाड़े में जो कुछ हो रहा है वह मर्यादा के खिलाफ है।