हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा तपोनिधि निरंजनी की महामण्डलेश्वर स्वामी मंदाकिनी पुरी द्वारा महामण्डलेश्वर बनाए जाने के नाम पर लाखों की ठगी करने और अखाड़े से बर्खास्त किए जाने पर श्री सरस्वती आश्रम कनखल के परमाध्यक्ष स्वामी महेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कड़ी प्रतिक्रया व्यक्त की है। स्वामी महेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहाकि श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के पदाधिकारियों ने मंदाकिनी पुरी को अखाड़े से बर्खास्त कर भेदभाव पूर्ण कार्य किया है।
उन्होंने कहाकि जो कार्य मंदाकिनी पुरी ने किया वह सही है या गलत इसका फैसला अब कोर्ट करेगा, किन्तु एक ही अखाड़े में दो प्रकार के नियमों को लागू करना धर्म की मर्यादा के खिलाफ है।
स्वामी महेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहाकि मंदाकिनी पुरी नेे महामण्डलेश्वर बनाए जाने के नाम पर एक संत से लाखों रुपये लिए। इसके अलावा अन्य संतों के साथ भी ठगी के मामले सामने आए हैं। उन्होंने कहाकि जब मंदाकिनी पुरी को ठगी के मामले में बर्खास्त किया जा सकता है, तो जिस अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर पर अपहरण जैसे गंभीर आरोप हों, जिस आचार्य की अपहरण के मामले में घर की कुर्की की जा चुकी हो, जो आचार्य अपहरण के मामले में विगत 26 वर्षों से फरार हो, उसकी सच्चाई सामने आने पर भी कार्यवाही न होना धर्म और न्याय के खिलाफ है।
उन्होंने कहाकि यदि मंदाकिनी पुरी के कृत्य से अखाड़े की छवि को आघात पहुंचा है, तो जिस अखाड़े के आचार्य पर अपहरण जैसा गंभीर आरोप हो और वह 26 वर्षों से फरार हो, इससे अखाड़े की छवि में कौन से चार चांद लग गए हैं। उन्होंने कहाकि अखाड़े को धर्म के अनुसार समान व्यवहार करते हुए उन सभी संतों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए, जो किसी भी आपराधिक मामले में संलिप्त है।
स्वामी महेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहाकि ऐसा कैसे हो सकता है कि कमजोर पर तत्काल कार्यवाही कर दी जाए और प्रभावशाली से प्रेम किया जाए। उन्होंने संतों की गरिमा बचाने के लिए मंदाकिनी पुरी की भांति आचार्य के खिलाफ भी उसी प्रकार कार्यवाही करने की अखाड़ा पदाधिकारियों से मांग की। उन्होंने कहाकि यदि अखाड़ा ऐसा करता है तो यह संतों के हित में और धर्म की मर्यादा के अनुरूप होगा।