भारत माता मंदिर की भूमि को होटल व्यवसाय में बदलने के प्रयास का लगाया आरोप
हरिद्वार। भरे मंच से स्वंय को हरियाणा का महामण्डलेश्वर कहने पर भारत माता मंदिर के महंत व महामण्डलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि महाराज भड़क गए। आज उन्होंने अपनी भड़ास प्रेस क्लब में मीडिया के सामने निकाली। उन्होंने भारत माता मंदिर और उससे जुड़े विवादों पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि भारत माता मंदिर से उनका कोई व्यक्तिगत हित नहीं, परंतु उनके गुरु स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि महाराज द्वारा उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपी गई है, उसकी रक्षा के लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
पत्रकारों से वार्ता करते हुए स्वामी ललितानंद गिरी ने कहाकि बीते रोज उनके गुरु स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि महाराज की छठी पुण्यतिथि पर मंच से उनकी पहचान को जानबूझकर तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया गया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में उन्हें हरियाणा का महामंडलेश्वर बताया गया, जबकि सच्चाई यह है कि उनका भारत माता मंदिर की संरचना और आध्यात्मिक उत्तराधिकार से उनका सीधा संबंध है, जो स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि की इच्छा से स्थापित हुआ
स्वामी ललितानंद गिरी ने अपने लिए आवंटित तीन कमरों को लेकर चल रहे विवाद पर भी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि ये कमरे उन्हें गुरु द्वारा भारत माता मंदिर की सेवा हेतु सौंपे गए थे और अब उन्हें खाली करने का दबाव बनाना न केवल अनुचित बल्कि गुरु आज्ञा का भी अपमान है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि किसी ने आश्रम को क्षति पहुंचाने का प्रयास किया तो वह कानूनी और सामाजिक स्तर पर बड़ा संघर्ष खड़ा करेंगे।
उन्होंने अपने गुरु भाई और जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी पर भी हमला बोला। ललितानंद गिरी ने कहा कि वामी अवधेशानंद गिरी को कुछ तत्वों ने गुमराह कर दिया है, जिनका मकसद भारत माता मंदिर की भूमि को क्रय-विक्रय कर होटल व्यवसाय में बदलना है। उन्होंने कहा कि इस साजिश में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार और मंदिर की पवित्रता को गिरवी रखने की योजना है, जिसे वह कदापि पूरा नहीं होने देंगे। स्वामी ललितानंद ने कहा कि भारत माता मंदिर केवल एक भवन नहीं, बल्कि यह राष्ट्रभक्ति, संस्कृति और सनातन मूल्यों की जीवित मूर्ति है। अगर इसे व्यावसायिक मुनाफे के लिए गिरवी रखा गया, तो पूरे देश के संत समाज को आंदोलन के लिए सड़क पर उतरना पड़ेगा, और वह स्वयं इसकी अगुवाई करेंगे।
उन्होंने कहाकि उनका किसी राजनीतिक या संस्थागत गुट से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ अपने गुरु के आदेश और उनकी सेवा भावना के अनुरूप इस आश्रम की रक्षा कर रहा हूं। यह कोई निजी स्वार्थ नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक दायित्व है।
उन्होंने मांग की कि आज तक भारत माता मंदिर ट्रस्ट में जितना खर्च हुआ, वह सब सार्वजनिक होना चाहिए। ट्रस्ट की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि जहां मुझे गड़बड़ दिखाई देती है, वहां जांच होनी चाहिए। मैं मंदिर का महंत हूं, मुझे हर गतिविधि की जानकारी मिलनी चाहिए।
स्वामी ललितानंद गिरी ने भारत माता मंदिर की पवित्रता की रक्षा का संकल्प दोहराया। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई अब केवल मेरे व्यक्तिगत सम्मान की नहीं रही, यह एक आश्रम, एक राष्ट्र की चेतना और संत परंपरा की रक्षा की लड़ाई है। मैं किसी भी स्थिति में पीछे नहीं हटूंगा।