त्याग व तपस्या की प्रतिमूर्ति थे स्वामी कैवल्यानंद महाराजः विश्वेश्वरानंद गिरि

हरिद्वार। सिद्धपीठ श्रीसूरत गिरि बंगला गिरिशानंद आश्रम कनखल में ब्रह्मलीन कोठरी स्वामी कैवल्यानंद सरस्वती महाराज की 25वीं पुण्यतिथि आश्रम के पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर आचार्य स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज के सानिध्य में श्रद्धापूर्वक मनायी गयी। इस असवर पर संत सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें संतों ने स्वामी कैवलयानंद सरस्वती महाराज को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उन्हें महान संत बताया।
संत सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए महामण्डलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज ने कहाकि स्वामी कैवल्यानंद महाराज त्याग व तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। संत और गौ सेवा उनके जीवन का हिस्सा थी। उन्होंने कहाकि भले ही स्वामी कैवल्यानंद सरस्वती महाराज के निर्वाण को 25 वर्ष हो गए हों, किन्तु आज भी सूक्ष्म शरीर से वे हमारे बीच में हैं और उनका आशीर्वाद सदैव बंगले पर बना हुआ है।


श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज ने कोठारी स्वामी कैवल्यानंद सरस्वती महाराज को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहाकि वे त्याग व तपस्या के साथ करूणा की प्रतिमूर्ति थे। जो भी उनके पास आता था उसे कुछ न कुछ अवश्य मिलता था। उन्होंने कहाकि उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
इससे पूर्व सुदरकांड पाठ का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर महामण्डलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद, महामण्डलेश्वर आनन्द चैतन्य महाराज, महामण्डलेश्वर गिरिधर गिरि, महामण्डलेश्वर जयदेवानंद सरस्वती, महामण्डलेश्वर स्वामी हितेश्वरानंद गिरि महाराज, श्रीमहंत स्वमी देवानंद सरस्वती महाराज, कोठारी स्वामी उमानंद महाराज, स्वामी कमलानंद, स्वामी कृष्णानंद आदि अनेक संत मौजूद थे।

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