स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद नम्बर-1 फर्जी, गृहस्थीः गोविन्दानंद

हरिद्वार। ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी गोविन्दानंद सरस्वती महाराज ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती व स्वामी सदानंद पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने अविमुक्तेश्वरानंद को फर्जी नम्बर-1 और गृहस्थ बताते हुए कोर्ट की अवमानना करने वाला बताया।


प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए स्वामी गोविन्दानंद सरस्वती महाराज ने कहाकि स्वंय को शारदा-द्वारिका व ज्योतिष पीठ का शंकराचार्य कहने वाले स्वामी सदानंद व स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद फर्जी शंकराचार्य हैं। इनके कथित पट्टाभिषेक से पूर्व ही कोर्ट ने इनके पट्टाभिषेक पर रोक लगाई हुई है। यह स्वंय को शंकराचार्य बताकर कोर्ट की अवमानना कर रहे हैं, जिसके संबंध में कोर्ट में अवमानना का मामला डाला जा चुका है। उन्होंने कहाकि स्वमी अविमुक्तेश्वरांनद ने स्वंय के पट्टाभिषेक को तीनों शंकराचार्यों द्वारा मान्यता दे दिए जाने संबंधी हलफनामा कोर्ट में दिया था, जो की झूठा है, जिसके संबंध में पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद महाराज ने कोर्ट में केस डाला हुआ है।


स्वामी गोविन्दानंद सरस्वती महाराज ने कहाकि जिस वयसीयत को लेकर यह उत्तराधिकारी और शंकराचार्य होने का दावा कर रहे हैं वह वसीयत फर्जी है। ऐसा कर इन्होंने सनातन के साथ धोखा किया है। जिस वयसीयत पर तीन लोगों के हस्ताक्षर हैं, उनके से एक महिला के प्रेम जाल में स्वामी अविमुक्तेश्वरांनद फंसे हुए हैं। स्वामी गोविन्दानंद सरस्वती महाराज ने कहाकि ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की समाधि से पूर्व सदानंद व अविमुक्तेश्वरानंद ने वसीयत निकालकर सार्वजनिक की तभी इनके झूठ का पर्दाफाश हो चुका था। बताया कि सील बंद लिफाफे में इन्होंने सदानंद व अविमुक्तेश्वरानंद के नाम वसीसत होने की बात कही। कहाकि जब उन्होंने सील बंद लिफाफा होने के बाद नामों का पता कैसे चला संबंधी प्रश्न किया तो दोनों मौन हो गए और उनको धमकी दिलवायी तथा रास्ते से हटाने के लिए उन पर जानलेवा हमला करवाया, जिसके संबंध में जांच जारी है।


स्वामी गोविन्दानंद सरस्वती महाराज ने कहाकि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पारिवारिक जीवन यापन कर रहे हैं। इन्होंने जिससे महिला से प्रेम किया उसी को नियम विरूद्ध संयास दिलवाया और आज भी साथ रह रहे हैं। ऐसे लोगों को सरकार को शीघ्र गिरफ्तार कर सनातन की रक्षा का कार्य करना चाहिए। कहाकि शंकराचार्य की नियुक्ति के लिए वसीयत का कोई महत्व नहीं है। शंकराचार्य की नियुक्ति के लिए वर्तमान में पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चालानंद ही मान्य हैं। वर्तमान में देश में केवल दो ही शंकराचार्य हैं। साथ ही अविमुक्तेश्वरांनद सरस्वती ब्राह्मण भी नहीं हैं। इस लिहाज से वह शंकराचार्य हो ही नहीं सकते।

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