हरिद्वार। शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष व काली सेना के संस्थापक शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि मोहम्मद जुबैर के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट द्वारा राहत और नुपुर शर्मा के प्रति उसी कोर्ट द्वारा नकारात्मक टिप्पणी का दोहरा रवैया अपनाना विधि के समक्ष समानता के संवैधानिक अधिकार का उपहास है।
कहा कि जब नूपुर शर्मा ने अपने ऊपर चल रहे सभी मामलों को दिल्ली स्थानांतरित करने की प्रार्थना की तो न्यायमूर्ति कहे जाने वाले महानुभावों ने उसके जीवन जीने के अधिकार को नकारते हुए उसकी प्रार्थना को खारिज कर दिया। यहां तक कि देश से माफी मांगने की हिदायत तक दे डाली। जबकि ठीक उसी तरह मोहम्मद जुबैर ने भी अपने प्रकरणों को दिल्ली में एक साथ स्थानांतरित करने की मांग की तो सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद जुबैर के खिलाफ दर्ज सभी केस को एक साथ क्लब करने का आदेश दे दिया। उसके विरुद्ध यूपी में दर्ज सभी छी केस को क्लब करते हुए दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को ट्रांसफर कर दिया गया। उन्होंने कहाकि केस क्लब होने का मतलब है कि सभी मामले अलग-अलग नहीं, बल्कि एक साथ चलेंगे।
इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर के ट्वीट्स की जांच के लिए यूपी सरकार की तरफ से बनाई गई एसआईटी को भी भंग कर दिया है। अब कोई संस्था उसकी जांच भी नहीं करेगी। कोर्ट ने कहा कि सारे केस ट्रांसफर करने का आदेश न सिर्फ मौजूदा सभी केस पर लागू होगा, बल्कि इस मुद्दे को लेकर भविष्य में दर्ज होने वाले केस पर भी लागू होगा।
स्वामी आनन्द स्वरूप ने कहाकि सरकारी अधिवक्ता पूरे तथ्य के साथ कह रहे हैं कि जुबैर पत्रकार नहीं है वो केवल फैक्ट चेकर है। वो खुद भी कह रहा है कि वो फैक्ट चेकर है। इस आड़ में वह संदिग्ध और उकसाने वाले पोस्ट करता रहता है। पहले भी वह बार बार ऐसी पोस्ट करता था, जिससे सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़े। यूपी सरकार ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह सिर्फ कुछ ट्वीट का मामला नहीं है। सात अप्रैल को जुबैर ने रेप से जुड़े एक मामले में ट्वीट किया, इसके बाद सीतापुर में तनाव इतना बढ़ा कि भारी पुलिस बल तैनात करना पड़ा। इसी तरह से कई बार इसकी पोस्ट से हिंसा को बढ़ावा मिला।
उन्होंने कहाकि जुबैर के खिलाफ उत्तर प्रदेश के 5 जिलों में 6 एफआईआर दर्ज हैं। इतना संवेदनशील होने के बाद भी जजों ने उसे जमानत दी। उन्होंने कहाकि माननीय जज की टिप्पणी कितनी हास्यास्पद है कि नुपुर शर्मा को सोच समझ कर बयान देना चाहिए। स्वामी आनन्द स्वरूप ने कहाकि आज हिन्दू समाज के साथ उसके अपने ही देश में दोयम दर्जे का जो व्यवहार हो रहा है उसके पीछे कोर्ट भी कम जिम्मेदार नहीं है। कारण ये है कि हिन्दू सड़कों को जाम नहीं करते क्योंकि वो सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करते हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से अव्यवहारिक, अनैतिक टिप्पणी कर एक बड़े समाज को दीर्घकालिक खतरे में डाल देने वाले ऐसे जज के विरुद्ध सदन में महाभियोग प्रस्ताव पारित करें।


