जूना पीठाधीश्वर व हरिगिरि के खिलाफ स्वामी आनन्द स्वरूप दर्ज करवाएंगे मुकद्मा
प्रयागराज। महाकुंभ में जूना अखाड़े द्वारा दो संतों आत्मानंद गिरि व शांति गिरि को जगद्गुरु शंकराचार्य बनाए जाने पर कड़ी नाराजगी जतायी है। उन्होंने अखाड़ों द्वारा शंकराचार्य बनाने को सनातन परम्परा का अपमान बताया है। उन्होंने जूना पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज तथा जूना अखाड़े के हरिगिरि महाराज के खिलाफ इस मामले में मुकद्मा दर्ज कराने की बात भी कही।
शांम्भवी पीठाधीश्वर स्वामी आनन्द स्वरूप महाराज ने कहाकि अखाड़ों का शंकराचार्य बनाना ठीक वैसा ही जैसे बेटे द्वारा बाप को पैदा करना। जो की संभव ही नहीं है। उन्होंने कहाकि अब अखाड़े भी शंकराचार्य बनाने लगे यह बड़े ही आश्चर्य की बात है। जो लोग शंकराचार्य बना रहे हैं उन्हें न तो शास्त्र का ज्ञान है और न ही उन्होंने मठाम्नाय पढ़ा है। यदि मठाम्नाय पढ़ा होता तो वे कम से कम वे शंकराचार्य बनाने जैसा पाप नहीं करते। कहाकि पहले शंकराचार्य संन्यास दिया करते थे, अब अखाड़ा शंकराचार्य बनाने लगा है। उन्होंने कहाकि जूना पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज तथा जूना अखाड़े के हरिगिरि महाराज के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।
कहाकि उन्होंने ऐसा कुक्त्य कर धार्मिक भावनाओं को भड़काने का कार्य किया है। उन्होंने कहाकि शंकराचार्य बनने वाला व्यक्ति ब्राह्मण कुल में उत्पन्न होने वाला, बाल ब्रह्मचारी, भाष्यकार, वेद, वेदांत तथा उपनिषदों का ज्ञाता व सर्वांग अर्थात अंग-भंग नहीं होना चाहिए। किन्तु यहां तो गृहस्थ को भी शंकराचार्य बनाया जा रहा है। उन्होंने कहाकि जिन लोगों को निरंजनी और जूना अखाड़े ने शंकराचार्य बनाया है उनमें से कोई भी व्यक्ति मठाम्नाय में शंकराचार्य बनने की मर्यादा पर खरा नहीं उतरता।
शांभवी पीठाधीश्वर ने कहाकि पहले से ही दर्जनों शंकराचार्यों की समाज में बाढ़ आई हुई है, जो शंकराचार्य हैं उन पर भी विवाद चल रहा है। ऐसे में अखाड़ों को नए विवाद उत्पन्न करने से बचाना चाहिए। उन्होंने कहाकि यदि परम्पराओं से हम इसी प्रकार खिलवाड़ करते रहे तो आने वाली पीढि़यां हमें कभी माफ नहीं करेंगी। कहाकि संत समाज का पथप्रदर्शक होता है। अखाड़ों पर परम्पराओं और मर्यादाओं को अक्षुण्ण रखने की बड़ी जिम्मेदारी होती है। यदि अखाड़े ही परम्पराओं के विपरीत कार्य करने पर उतारू हो जांए तो परम्पराओं और मर्यादाओं को नष्ट होने से कोई नहीं बचा सकता।