हरिद्वार। सड़कों पर भिक्षा मांगकर अपना पेट भरने वाले असली कालनेमि नहीं हैं। मठों में बैठकर मलाई चाटने वाले असली कालनेमि हैं। यह बात शांभवी पीठाधीश्वर व काली सेना प्रमुख स्वामी आनन्द स्वरूप महाराज ने कही।
उन्होंने कहाकि उत्तराखण्ड सरकार ने आपरेशन कालनेमि चलाया हुआ है, जो स्वागत योग्य है, किन्तु भिक्षावृत्ति करने वालों को पकड़कर कालनेमि बताना और उन्हें जल भेजना उचित नहीं है। मठों में बैठकर मलाई चाटने वाले और धर्म-कर्म से दूर रहने वाले असली कालनेमि हैं। जिनके खिलाफ सरकार को कार्यवाही करनी चाहिए।
स्वामी आनन्द स्वरूप महाराज ने कहाकि उत्तराखण्ड को देवभूमि कहा जाता है। सरकार देवभूमि की रक्षा के लिए आपरेशन कालनेमि चलाए हुए है, किन्तु दुर्भाग्य है कि उत्तराखण्ड में कुल 17 गुरुकुल हैं। जबकि मदरसों की संख्या 452 है।
उन्होंने कहाकि हरिद्वार में ही 2300 छोटे-बड़े आश्रम हैं। किन्तु एक-दो को छोड़ दें तो कहीं भी गुरुकुल संचालित नहीं हो रहे हैं। यदि प्रत्येक आश्रम दस बच्चों को भी गुरुकुल खोलकर शिक्षा दे तो उत्तराखण्ड देवभूमि की परिकल्पना साकार दिखायी देगी। उन्होंने कहाकि सभी अखाड़ों को चाहिए की वह अपने-अपने अखाड़ों में गुरुकुल की स्थापना करे और वहां शास्त्र के साथ शस्त्र की शिक्षा भी दे। उन्होंने अखाड़ों के आचार्यों पर भी सवाल किया। कहाकि वे बताएं कि वह कितने गुरुकुलों का संचालन करते हैं। यदि नहीं तो वे किसके आचार्य हैं।