सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार में स्वामी अच्यूतांनद का अहम योगदानः रविंद्र पुरी

स्वामी अच्यूतानंद तीर्थ महाराज के अवतरण दिवस पर संतों ने दी शुभकामनाएं
हरिद्वार।
भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्यूतानंद तीर्थ महाराज का 68वां अवतरण दिवस संतों की उपस्थिति में समारोह पूर्वक मनाया गया।
इस दौरान अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने शॉल ओढ़ाकर एवं फूलमाला पहनाकर कर स्वामी अच्यूतानंद तीर्थ को अवतरण दिवस की बधाई देते हुए कहा कि स्वामी अच्यूतानंद तीर्थ महाराज देश एवं विदेशों में सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार में अपना योगदान दे रहे हैं। उनके द्वारा समय समय पर सनातन संस्कृति पर प्रहार करने वालों को मूंहतोड़ जवाब देने का काम करते चले आ रहे हैं। मानव कल्याण में इनके द्वारा किए जा रहे अतुल्य योगदान की जितनी भी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। उन्होंने कहा कि स्वामी अच्यूतानंद तीर्थ महाराज के मार्गदर्शन में युवा संत देश व राष्ट्र की उन्नति में अपना योगदान दे रहे हैं।


पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि स्वामी अच्यूतानंद तीर्थ महाराज अपने जप-तप के कारण संतों में अपनी एक अलग ही पहचान बनाए हुए हैं। सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार में इनका योगदान प्रशसंनीय है।
विधायक मदन कौशिक एवं पूर्व मंत्री प्रीतम सिंह पंवार ने कहा कि राजसत्ता धर्मसत्ता के बिना अधूरी है। संतों के जप-तप से ही विश्व का कल्याण का संभव है। देश की एकता अखंडता बनाए रखने में संत महापुरूषों की अहम भूमिका रही है।
जसपुर विधायक आदेश चौहान ने कहा कि संतों के जप तप से उत्तराखंड प्रगति की और अग्रसर है। देश दुनिया में देवभूमि संतों के जप तप एवं सनातन संस्कृति की विशेषता से ही पहचानी जाती है। भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्यूतानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि मेरा जीवन मानव कल्याण के लिए सदैव समर्पित रहेगा। समाज उत्थान में प्रयास जारी रहेंगे। मठ मंदिरों, पौराणिक सिद्ध पीठों की गरिमा को बनाए रखने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी। सनातन संस्कृति पर प्रहार करने वालों को मूंह तोड़ जवाब मिलता रहेगा।


कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि सनातन संस्कृति ही हिंदू समाज की विशेषता को दर्शाती है। स्वामी अच्यूतानंद तीर्थ महाराज हिंदू हितों को लेकर देश को जागृत करने का काम कर रहे हैं।
इस अवसर पर महंत निर्भय सिंह, स्वामी कृष्णानंद, स्वामी गोपालानंद, महंत सूरज दास, महंत नारायण दास पटवारी, महंत गोविंद दास, महंत राघवेंद्र दास, स्वामी रविदेव शास्त्री सहित सभी अखाड़ों के संत व श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।

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