धूमधाम से मनाया गया महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज का 30 वा पादाभिषेक समारोह
हरिद्वार। श्री सूरत गिरी बांग्ला गिरिशानंद आश्रम कनखल में आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज का 30 वा पादाभिषेक समारोह हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। 10 में शनिवार को तीन दिवसीय समारोह का संत सम्मेलन और विशाल भंडारे के साथ समापन हुआ।

उल्लेखनीय है कि सूरत गिरी बांग्ला गिरिशानंद आश्रम के एकादश पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरी महाराज का आज ही के दिन 30 वर्ष पूर्व महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभीषेक गया था। पट्टा अभिषेक के 30 वर्ष पूरे होने पर त्रिदिवसीय समारोह का आयोजन किया गया।

गुरुवार को समारोह का शुभारंभ भगवान शिव के रुद्राभिषेक तथा सायंकाल भजन और गंगा पूजन के साथ हुआ। शुक्रवार को शिवार्चन, गंगा पूजन, दीपोत्सव, गंगा आरती व भजन संध्या के साथ संतों के आशीर्वचन हुए।

समारोह के अंतिम दिन का शुभारंभ भगवान शिव के अभिषेक पूजन अर्चन से हुआ। तत्पश्चात महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरी महाराज का अभिषेक करने के पश्चात आज के कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया गया।

इस अवसर पर आयोजित संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद भारती महाराज ने अपनी शुभकामनाएं देते हुए महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरी महाराज की दीर्घायु की कामना की।

उन्होंने कहां की महामंडलेश्वर पद पर अभिषेक होने के बाद महाराज श्री ने बंगले की परंपरा का पूर्ण निष्ठा के साथ निर्वहन करते हुए इसकी गरिमा में चार चांद लगाने का काम किया है। जो परंपराएं बंगले के महापुरुषों द्वारा स्थापित की गई थी उन में उन्नति करते हुए संत परंपरा को अक्षुण्ण बनाए रखने का कार्य किया है।

उन्होंने कहा कि सूरत गिरी बांग्ला सिद्ध पीठ है यहां के संतों का समूचे भारतवर्ष में विशिष्ट स्थान रहा है। इस विशेषता को बनाए रखने का मंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरी महाराज कार्य कर रहे हैं।
इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के श्री महंत रवींद्र पुरी महाराज ने भी स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरी महाराज को 30 वर्ष पूर्ण होने पर अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बांग्ला अखाड़े से अपने स्थापना कल से ही जुड़ा है। बंगले की विशिष्ट पहचान है। बंगले के संतों की विद्वता में अलग पहचान रही है। यही कारण है कि देश का प्रत्येक संत बंगले से भलीभांति परिचित है।

उन्होंने कहा कि बंगले की महत्ता का इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि संन्यास परंपरा से जुड़े जितने भी संत हैं, उनमें से दो तिहाई से अधिक संत प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बंगले की परंपरा से जुड़े हुए हैं। उन्होंने महाराजश्री की दीर्घायु की कामना करते हुए बंगले की प्राचीन परंपराओं को बढ़ाने की कामना की।
बंगले के परमाध्यक्ष स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरी महाराज ने सभी का साधुवाद करते हुए कहा कि गुरु परंपरा से जो और शिक्षा गुरु जनों ने दी है उसका वह अक्षरशः पालन करते आ रहे हैं। उन्होंने आशुतोष भगवान शिव से प्रार्थना करते हुए कहा कि वह उन्हें इतनी शक्ति प्रदान करें की बंगले की परंपराओं को वह कायम रखने में अपना योगदान दे सके।

इस अवसर पर उपस्थित सभी संतो ने स्वामी जी को अपनी शुभकामनाएं दी। तत्पश्चात विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। इस अवसर पर श्रीमहंत विनोद गिरी, स्वामी उमानंद, स्वामी श्रद्धानंद गिरी, स्वामी केशवानंद गिरी, स्वामी विश्व स्वरूप आनंद गिरि, स्वामी कमलानंद गिरि समेत अनेक संत, भक्त, विद्यार्थी मौजूद रहे।