देहरादून। श्री जंगम शिवालय और श्री टपकेश्वर महादेव मंदिर के परमाध्यक्ष श्री मंहत कृष्णा गिरि महाराज ने श्रद्धालु भक्तों को भगवान शिव की महिमा का रसपान कराते हुए भगवान शिव को करूणा का सागर बताया। कहा कि भोले की भक्ति में अर्पण नहीं समर्पण की भावना है।
भगवान श्री टपकेश्वर महादेव व भगवान जंगमेश्वर महादेव का आज विशेष श्रृंगार किया गया। इस अवसर पर उन्होंने श्रद्धालु भक्तों को आशीर्वचन देते हुए भगवान शिव करुणा के सागर हैं, जिनकी महिमा अनंत और अपार है। भगवान शिव हर स्थान पर पूजे जाते हैं और जहां भी उन्हें स्मरण किया जाता है, वे वहां स्वयं उपस्थित हो जाते हैं। इसीलिए उन्हें भोलानाथ कहा जाता है, क्योंकि वे सच्चे मन और सरल हृदय वाले भक्तों पर शीघ्र कृपा करते हैं। उनका हृदय करुणा से भरा है और इसी कारण वे कालों के भी काल ‘महाकाल’ कहलाते हैं।
उन्होंने बताया कि भगवान शिव की पूजा के लिए किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि वे भाव के भूखे हैं, विधि के नहीं। भोले की भक्ति में अर्पण नहीं समर्पण की भावना है।