दो फाड़ होने की कगार पर शम्भू आवाह्न अखाड़ा

पदाधिकारी बनाने के नाम पर रुपये के लेनदेन के आरोप


हरिद्वार। कुछ समय पूर्व तक अखाड़े राजनीति से दूर थे। यहां छल-कपट और धन की लालसा का कोई स्थान नहीं था। किन्तु अब अखाड़े इन सभी से अछूते नहीं रहे हैं। अखाड़ों में अब आंतरिक राजनीति चरम पर है। हर कोई किसी न किसी तरह अखाड़े की कमान अपने हाथों में चाहता है। यही कारण है कि अब अखाड़ों में अध्यात्म की चर्चा समाप्त सी हो चुकी है। अब हर कोई पद पाना और जिसे पद मिला हुआ है, उसे बचाने की जुगत में लगा हुआ है।


ऐसा ही अब एक नया विवाद श्री पंच शम्भू आवाह्न अखाड़े में भी उपजना शुरू हो चुका है। उपजे विवाद के कारण अखाड़ा कभी भी दो फाड़ हो सकता है। जैसा की पूर्व में उदासीन अखाड़ा दो फाड़ होकर उदासीन बड़ा और नया उदसीन अखाड़े के रूप में जन्म ले चुका है।


अखाड़े की प्राचीन परम्पराओं के विरूद्ध कार्य किए जाने का आरोप लगाते हुए आवाह्न अखाड़े के श्रीमहंत गोपाल गिरि महाराज ने बताया कि श्री पंच अखाड़े की प्राचीन परम्पराओं के विपरीत कार्य कर रहे हैं। 11 जून को आवाहन अखाड़े के शम्भू पंच व श्री पंच को लेकर हरिद्वार में बैठक होने जा रही है। यदि इस बैठक में आम सहमती नहीं बनती है तो, अखाड़े के दो फाड़ होने से कोई नही ंरोक सकता है। उनका कहना था कि वर्तमान हालातों को देखते हुए अखाड़ा श्री शम्भू पंच दशनाम आवाहन नागा सन्यासी व श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा दो भागांे मंे बंटना सुनिश्चित है।


शम्भू पंच का श्री पंच पर आरोप है कि वह अखाड़े के प्राचीन नियमों के विपरीत कार्य करते हुए श्री महन्त, थानापति तथा रमता पंच के श्री महन्त के लिये नियम विरूद्ध पैसांे का लेनदेन कर नियुक्त कर ने की कोशिश में है। कहाकि जिन संतों का पदाधिकारी बनने का नम्बर है, श्री पंच उन्हें दर किनार करना चाहते हैं।


बता दें कि अखाड़ों की राजनीति में पद के बदले रुपये लेने के आरोप समय-समय पर लगते रहे हैं। अखाड़े के पदाधिकारी बनाने के अतिरिक्त महामण्डलेश्वर बनाने लिए लाखों का लेनदेन होता है। उज्जैन में इसी मामले में धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार हुई श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी की निष्कासित मण्डलेश्वर मंदाकिनी पुरी इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। वहीं आचार्य महामण्डलेश्वर के नाम पर तो करोड़ों का लेनदेन होने के आरोप लग भी चुके हैं।


अब देखना दिलचस्प होगा की श्री शंभू पंच दशनाम आवाह्न अखाड़े के नाराज संतों की बात मान ली जाती है या फिर उदासीन अखाड़े की भांति आवाह्न अखाड़ा दो फाड़ होगा।

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