हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने देवस्थानम् बोर्ड भंग करने के सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि धर्म के अनुरूप निर्णय लेने के लिए युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी साधुवाद के पात्र हैं। देवस्थानम् बोर्ड भंग कर सरकार ने संत समाज व तीर्थ पुरोहितों की भावना का सम्मान किया है। उन्होंने कहा कि अधिग्रहित किए गए मठ मंदिरों की मुक्ति के लिए दिल्ली से शुरू हुए संतों के आंदोलन के बाद देवस्थानम् बोर्ड भंग कर सरकार ने उचित निर्णय किया है। पौराणिक काल से चली आ रही धर्म स्थलों की व्यवस्था में सरकारों को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। अखाड़ा परिषद के महामंत्री व श्री पंच निर्माही अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने उत्तराखण्ड सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार सनातन धर्म व संस्कृति के उत्थान में लगातार योगदान कर रही है। मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी ने धर्म के अनुरूप निर्णय लिया है। अखाड़ा परिषद के कोषाध्यक्ष व श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि देवस्थानम् बोर्ड भंग करने के बाद अब सरकार को मठ मंदिरों को अधिग्रहण से बचाने तथा अधिग्रहित मठ मंदिरों को अधिग्रहण से मुक्त कराने के लिए कानून बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संत समाज ने हमेशा सरकारों का सहयोग किया है। सरकारों को भी संत समाज की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। अखाड़ा परिषद के संरक्षक श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज, श्रीमहंत महेश्वरदास महाराज, उपाध्यक्ष दामोदर दास महाराज, प्रवक्ता महंत गौरीशंकर दास आदि संतों ने भी सरकार व मुख्यमंत्री का आभार जताया। दिल्ली स्थित कालका मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत महाराज ने भी देवस्थानम् बोर्ड भंग होने पर संत समाज व तीर्थ पुरोहितों को बधाई देते हुए कहा कि संत समाज व तीर्थ पुरोहितों के एकजुट संघर्ष की बदौलत ने सरकार ने बोर्ड भंग करने का फैसला लिया। इसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व उनकी पूरी टीम बधाई की पात्र है।