नकली बताने वाले दलों से पोषित ये बताएं वे किसी सूची के संतः निश्चलानंद
हरिद्वार। पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहाकि सबसे बड़ा सवाल यह है कि अखाड़ा परिषद क्या है। नासिक व उज्जैन के कुंभ में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष थे या नहीं। उन्होंने कहाकि दोनों ही कुंभ मेलों में नकली शंकराचार्य शासन तंत्र से संरक्षित होकर दहाड़ रहे थे। नकली संतों के पक्षधर न होने का दावा करने वाले अखाड़ा परिषद अध्यक्ष उस समय क्यों मौन थे। यदि वे नकली संतों व शंकराचार्यों के संरक्षक नहीं थे तो मौन क्यों रहे। कुंभ स्नान के ठेकेदार बनने वाले उस समय मौन क्यों थे। इन सब बातों पर सनातनियों को विचार करने की आवश्यकता है। शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहाकि 100 वर्ष पूर्व दशनामी संन्यासी जो अखाड़ा परिषद में होते थे वह किसके सैनिक हुआ करते थे। उन्होंने कहाकि देश के शंकराचार्यों की चतुस पीठ के आचार्यों के सभी दशनामी सैनिक थे। कहाकि देश में दो लाख से अधिक नागा सैनिक हैं। आज देश पर कितनी भी विपत्ति क्यों न आए आज तक दो शब्द किसी ने बोले हैं। इन लोगों की आंखों के समाने आज भी गौवंश की हत्या होती है। देश में अराजकता होती है। ये सब मौन क्यों हो जाते हैं। शंकराचार्य महाराज ने कहाकि पूर्व के अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने एक नकली शंकराचार्य बनाकर मुझे चुनौती देने के लिए घुमाया था। उन्होंने कहाकि सारी अराजकता को जन्म देने वाले नकली और असली की पहचान कहां रखते हैं। ऐसे लोग नकलियों के बहुत बड़े पोषक सिद्ध हो रहे हैं। उन्होंने कहाकि जब ऐसे लोगों के व्यक्त्तिव पर आंच आती है तो उन्हें संत नकली दिखायी देने लगते हैं। कहाकि ऐसे लोगों का नकलियों से गठबंधन रहा की नहीं। उन्होंने कहाकि वर्तमान अखाड़ा परिषद की बात न भी करें तो चन्द्रा स्वामी से गठबंधन रहा की नहीं। पूर्व के अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने चन्द्रा स्वामी को संत की मान्यता किस प्रकार से दी। उन्होंने कहाकि नकलियों पर अखाड़ा परिषद नकेल कैसे डालेगी। क्यों कि आज कोई सपा से पोषित है तो कोई बसपा से, कोई कांग्रेस से तो कोई भाजपा से। उन्होंने कहाकि किसी दल से पोषित संत के पास नकली की परख कहां से है। बड़ा सवाल तो यह कि दलों से पोषित संत ये बताएं की वे स्वंय किस सूची में आते हैं इस पर विचार करने की आवश्यकता है।