शंकराचार्य उत्तराधिकारी मामलाः गोवर्धन पीठ ने लगाया प्रश्नचिह्न

गोवर्धन पीठ के ट्वीट में लिखा, स्वामी स्वरूपानंद वसीयत करते तो सार्वजनकि घोषणा होती
हरिद्वार।
शारदा-द्वारिका व ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के ब्रह्मलीन होने के बाद उनकी दोनों पीठों पर उत्तराधिकारी की घोषणा कर दी गई है। उत्तराधिकारी की घोषणा के बाद भी विवाद सुलझता नजर नहीं आ रहा है।


विदित हो कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के ब्रह्मलीन होने पर उनको भू समाधि दिए जाने से पूर्व उनके उत्तराधिकारी के तौर पर शारदा-द्वारिका पीठ पर स्वामी सदानंद सरस्वती व ज्योतिष पीठ पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की घोषणा की गई। घोषणा होने के बाद से उत्तराधिकारी को लेकर विवाद भी उत्पन्न हो गया है। जहां एक ओर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद महाराज की वसीयत को सार्वजनिक करने की मांग की जाने लगी है वहीं कुछ का मानना है कि स्वामी स्वरूपानंद महाराज ने कोई वसीयत की ही नहीं।


इसमें गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी भारती तीर्थ महाराज के अधिकारिक ट्वीट से भी ट्वीट कर इस मामले पर सवालिया निशान खड़े किए हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने अपने जीवन काल में किसी को भी उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया है। यहां तक की स्वंय को उनके प्रतिनिधि के रूप में ख्यापित करने वाले व्यक्ति का अपने लैटरपैड पर लिखित निराकरण किया। ट्वीट में आगे लिखा कि यदि वे द्वारका व ज्योतिर्मठ के उत्तराधिकारी का चयन करते तो सार्वजनिक रूप से उसका उद्घोष करते। ऐसी स्थिति में उनके नाम पर भ्रामक प्रचार-प्रसार पर विश्वास सर्वथा लोभ, भय, कोरिभावुकता और अविवेक का द्योतक है। ट्वीट में आगे लिखा की पुरी पीठ के प्रतिनिधि द्वारा द्वारिक तथा ज्योतिर्मठ के आचार्य पद पर किसी व्यक्ति का अभिषेक या किसी व्यक्ति के नाम की घोषणा की सूचना
भी सर्वथा अविश्वसनीय है।


उधर अखिल भारतीय श्री धर्मरक्षा सेना के जानकीशरण अग्रवाल ने द्वारिका कोर्ट में याचिका दायर कर स्वामी सदानंद सरस्वती को दण्डी स्वामी मानने व शंकराचार्य पद पर अभिषिक्त होने से रोकने की गुहार लगायी है।

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