भगवान शंकराचार्य के पूजन से अधिक भण्डारे को दिया जा रहा महत्व
हरिद्वार। आदि जगद्गुरु भाष्यकार भगवान शंकराचार्य की जयंती आज तीर्थनगरी में उल्लास के साथ मनायी गयी। जयंती पर शंकराचार्य चौक स्थित भाष्यकार के श्रीविग्रह पूजन के लिए तीर्थनगरी के सभी अखाड़ों व संतों को निमंत्रण दिया गया था, किन्तु कुछ संत समय पर पहुंचे और उन्होंने भगवान शंकराचार्य का पूजन किया। इसके साथ ही संतों में शंकराचार्य पूजन के लिए फोटो सेशन की भांति होड देखी गयी।
समय पर पहुंचकर पूजन करने वाले संतों का सामूहिक रूप से फोटो खिंचा गया। जबकि संतों के एक गुट विशेष ने शंकराचार्य चौक पहुंचकर स्वंय को ऐसे प्रदर्शित किया जैसे की वह ही पूजन के कर्ताधर्ता हों। जबकि ब्रह्मलीन स्वामी कल्यानंद सरस्वती महाराज के प्रयासों से स्थापित शंकराचार्य जी की मूर्ति का जंयती पर पूजन-अर्चन का कार्यक्रम आद्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्मारक समिति के तत्वावधान में ही आयोजित होता रहा है, किन्तु इस बार नजारा कुछ अलग ही देखने को मिला। पूजन से अधिक महत्व फोटो सेशन और स्वंय को श्रेष्ठ साबित करने को दिया गया। वहीं दूसरी ओर वे भगवान शंकराचार्य जिन्होंने समूचे देश को एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य किया उन्हीं की जयंती पर संत समाज गुटों में बंटा हुआ नजर आया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भगवान शंकराचार्य के सिद्धांतों को आत्मसात करने का दंभ भरने वाले कितना उनके सिद्धांतों को आत्मसात कर रहे हैं। वहीं दूसरी बड़ी बात यह रही की पूजन के चंद संत ही शामिल दिखायी दिए, जबकि भण्डारे के दौरान पूरा लाव लश्कर दिखायी दिया। वही तीर्थनगरी में बड़ी संख्या दशनामी संन्यासियों की ही। ऐसे में उनके गुरु की जयंती पर चंद संतों का पहुंचा उनके प्रति श्रद्धा को बताता है।