हरिद्वार। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के ब्रह्मलीन होने के बाद ज्योतिष पीठ पर स्वामी अविमुक्तेश्वरांनद के आसीन होने के बाद विवाद और अधिक बढ़ गया है। जिसके चलते मामला अब सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। न्यायालय में मामला विचाराधीन होने के बाद भी शंकराचार्य बनने के लिए कई संत लाईन में लगे हुए हैं। कोई सिफारिश कर रहा है तो किसी के पास तैयार रहने के लिए सिफारिश आ रही है।
सूत्रों के मुताबिक पहले हरिद्वार से एक संत शंकराचार्य बनने के लिए लालायित थे। अब हरिद्वार से शंकराचार्य बनने वाले संतों की संख्या दो हो गई है। अंतर इतना है कि एक सिफारिश के साथ रिश्वत की पेशकश कर रहा है तो दूसरे के पास तैयार रहने का संदेश आने लगा है। इसी के चलते हरिद्वार के एक वरिष्ठ संत की देश की राजधानी में एक बड़े संत के साथ बैठक हुई। सूत्र बताते हैं कि बैठक में शंकराचार्य के संबंध में चर्चा हुई। सूत्र बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में चल रहे विवाद का समाधान होने के कुछ समय बाद हरिद्वार के एक वरिष्ठ संत के ज्योतिष पीठ पर विराजमान होने की उम्मीद है। इस कार्य में अभी लगभग डेढ़ वर्ष का समय लगने की उम्मीद है। जिसके चलते वह दण्ड धारण करने के लिए भी तैयार हैं। दण्ड कौन धारण कराएगा इसकी भी खोज की जा चुकी है।
उधर काशी में हुई शंकराचार्य व काशी विद्वत्सभा की बैठक में भी शंकराचार्य के लिए एक नए नाम पर चर्चा हुई। सूत्र बताते हैं कि अभी तक एक अखाड़े के आचार्य का समर्थन करने वाली शंकराचार्य परिषद अब ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी गोविन्दानंद सरस्वती के समर्थन में आ चुके हैं। जिस कारण से कई लोगों के अरमानों पर पानी फिर सकता है। उधर काशी विद्वत परिषद के फर्जी लेटर पैड पर स्वामी अविमुक्तेश्वरांनद के समर्थन वाले पत्र ने भी कई लोगों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। वहीं विवाद को गहराता देख जो लोग स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का समर्थन कर रहे थे वह भी अपना या तो मौन धारण कर चुके हैं या फिर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की नियुक्ति की प्रक्रिया को गलत बताने लगे हैं।
उधर शंकराचार्य पद पर आसीन होने के लिए विद्वानों के साथ ऐसे लोग भी लाईन में हैं, जिन्हें शास्त्रों, वेद आदि का ज्ञान तक नहीं हैं। कुल मिलाकर जो खिचड़ी पक रही है उसमें हर कोई अपना नंबर आने की उम्मीद लगाए हुए है, किन्तु किसने बनना है, कब बनना है और किसने बनाना है यह सब तय हो चुका है। बावजूद इसके कुछ लोग दीए पर पतंगे की भांति अब भी लालसा की रोशनी में फड़फडा रहे हैं।