चेली की लड़की पर मण्डलेश्वर ने डाली बुरी नजर, परिजनों ने की जमकर धुनाई, अब भी चेली संग रचाता है बाबा रासलीला

हरिद्वार। उत्तराखण्ड सरकार ने फर्जी बाबाओं पर शिंकजा कसने के लिए आपरेशन कालनेमि चलाया हुआ है। पिछले तीन दिनों में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से पुलिस 100 से अधिक फर्जी बाबाओं को पकड़ चुकी है। हास्यास्प्रद यह की पुलिस आपरेशन कालनेमि के तहत भिखरियों और फक्कड़ों को ही गिरफ्तार कर रही है। किसी भी बड़े कालनेमि के गिरेहवान तक पुलिस अभी तक हाथ नहीं डाल पायी है। इससे आपरेशन कालनेमि की सफलता पर सवालिया निशान लगता है।


भीख मांगकर अपना गुजारा करने वाले आपरेशन कालनेमि के तहत जेल की सलाखों के पीछे जा रहे हैं। इनमें कुछ ऐसे भी हैं, जो वाकई कालनेमि हैं, किन्तु मठों, आश्रमांे में बैठे कालनेमियों के बड़े कारनामे होने के बाद भी उनको सम्मान दिया जा रहा है।


बात यदि तीर्थनगरी हरिद्वार की करें तो यहां एक से बढ़कर एक कालनेमि ऐश का जीवन जी रहा है। इन कालनेमियों से एक महामण्डलेश्वर ऐसे हैं, जिन्होंने चेली को अपने साथ रखा हुआ है और उसके साथ पत्नीवत संबंध बनाते हुए आ रहे हैं। यह तो एक साधारण सी बात है। बड़ी बात यह कि बाबा की चेली की एक कन्या भी है। बाबा चेली की पुत्री के साथ भी वह सब करने को तैयार था जो चेली के साथ करता आ रहा है।


सूत्र बताते हैं कि मण्डलेश्वर जी की यह रासलीला काफी समय तक चलती रही। एक दिन चेली के परिजनों को मण्डलेश्वर की करतूत का पता चल गया। फिर क्या था चेली के परिजनों ने लात-घूंसे से मण्डलेश्वर की मण्डलेश्वरी उतार दी। जमकर हंगामा हुआ और मण्डलेश्वर को अपनी जान बचाकर वहां से भागने को मजबूर होना पड़ा।


इस घटना के बाद से मण्डलेश्वर ने चेली की पुत्री से तो हाथ जोड़ लिए, किन्तु चेली से मण्डलेश्वर की नजदीकियां अभी भी बनी हुई हैं। आलम यह है कि चेली का मण्डलेश्वर पर पूरा हुक्म चलता है। मजाल है कि मण्डलेश्वर चेली के समक्ष कुछ बोल जाए।
अब ऐसे कालनेमियों को छोड़कर सरकार और पुलिस प्रशासन फक्कड़ों के पीछे पड़ा है। ऐसे में क्या सनातन की कालनेमियों से रक्षा हो पाएगी। जैसा की सरकार की मंशा आपरेशन कालनेमि को लेकर है। ऐसे कालनेमियों पर जब तक सरकार कार्यवाही नहीं करती तब तक सनातन का कुछ होने वाला नहीं है।


वैसे सरकार ऐसे कालनेमियों के खिलाफ कुछ ठोस कदम उठाए, इसकी उम्मीद काफी कम है। कारण की सरकार को सनातन की रक्षा से अधिक अपने वोटबैंक की चिंता है।

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