रुपये देखते ही बिक गया ईमान, ट्रस्ट व परिसर में भागीदारी को लेकर हो गया समझौता

कल तक जिसे कह रहे थे बुरा, वही बन गया अब सत्य का पुजारी


हरिद्वार।
व्यवस्थाओं को दुरूस्त करने और अवैध कब्जा कर गैर कानूनी रूप से मंदिर संचालन का आरोप लगाकर शासन-प्रशासन और आमजन मानस में हल्ला मचाने वाले का ईमान भी बिक गया है। मामले में शांत रहने और मिलकर खाने के लिए मोटी रकम देकर सौदा किया गया है। सौदे की तय रकम का कुछ हिस्सा दिया भी जा चुका है। शेष दो-चार किस्तों में दे दिया जाएगा। सौदा पूरा होते ही संबंध पहले की तरह मधुर हो गए हैं।


बता दें कि तीर्थनगरी के एक प्रसिद्ध मंदिर का फर्जी ट्रस्ट बताकर व कुछ लोगों पर अवैध रूप से कब्जा कर संचालन करने का एक व्यक्ति द्वारा आरोप लगाया गया था। हालांकि पूर्व में हाईकोर्ट द्वारा इस संबंध में दिए गए आदेश का जिला प्रशासन 12 वर्ष बीत जाने के बाद भी अमल नहीं करवा पाया है, किन्तु अब समझौता हो जाने से प्रशासन को भी रोज-रोज की आरटीआई व अन्य दवाब की राजनीति से निजात मिल जाएगी।
सूत्र बताते हैं कि विवाद को लेकर हुए अपसी समझौते में वादी को बतौर एक करोड़ रुपये देना तय हुआ है। जिसमें से बतौर पेशगी 20 लाख रुपये दिए भी जा चुके हैं। इसके साथ ट्रस्ट व मंदिर में हिस्सेदारी की भी बात तय हुई है। इतना ही नहीं सूत्र बताते हैं कि वक्त बे वक्त जरूरत पड़ने पर अलग से आर्थिक मदद की गारंटी और दी गई है। सूत्रों के मुताबिक दोनों ही पक्ष इस समझौते के लिए काफी समय से बेचैन थे। किन्तु देर-सवेर दोनों का मिलन हुआ और समझौता भी परवान चढ़ गया।


मजेदार बात यह कि एक पक्ष समझौता कर एक तरफ भले ही होने के लिए राजी हो गया हो, किन्तु अब इस मामले को लेकर तीसरा पक्ष कोर्ट जाने के लिए तैयार हो चुका है, जो उस व्यक्ति के खिलाफ भी कार्यवाही करने का मन बना चुका है, जिसने नगर मजिस्ट्रेट से लेकर राष्ट्रपति तक को इस मामले में कार्यवाही के लिए लिखा और न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया। अब इस मामले को लेकर कोर्ट जाने वाला व्यक्ति इस व्यक्ति की भी जांच की मांग करेगा की आखिर मामले को इतना तूल देने के बाद अचानक वह जिनको आरोपी बता रहा था उनकी शरण में कैसे नतमस्तक हो गया और कैसे वह मौन हो गया।

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