हरिद्वार। उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी, हरिद्वार द्वारा अखिल भारतीय संस्कृत शोध सम्मेलन 19 व 20 दिसम्बर को आयोजित किया जा रहा है। उक्त सम्मेलन के समापन समारोह में प्रो. महावीर अग्रवाल पूर्व कुलपति उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार को मुख्य अतिथि बतौर आमंत्रित किया गया है। सत्यदेव निगमालंकार ने बताया कि प्रो. महावीर अग्रवाल पर हाईकोर्ट नैनीताल में धारा 419, 420, 465, 467, 468 471 एवं 120-बी पर आरोप पत्र दाखिल है। उन्होंने बताया कि डॉ. महावीर अग्रवाल ने भगवानदास संस्कृत महाविद्यालय के चेयरमैन पद पर रहते हुए अनाधिकार महाविद्यालय का चिटफण्ड सोसायटी में जाकर अपने तथा अपने कुछ साथियों के नाम से नवीनीकरण करा लिया और स्वयं मातृसंस्था बन बैठे जिस कारण महाविद्यालय में स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम चलाकर करोडों रूपये कमाए गए हैं और अपने कार्यांे के लिए प्रयोग किए गए हैं, जिसकी एफआईआर दर्ज कराने के लिए प्राचीन अवधूत मण्डल आश्रम के महंत महामण्डलेश्वर रूपेन्द्र प्रकाश ने कोतवाली ज्वालापुर में अंकित कराई हुई है। महाविद्यालय के प्रकरण में डॉ. अग्रवाल पर जांच अधिकारी, कोतवाली हरिद्वार में जांच करके पाया कि इन पर आपाराधिक मामला बनता है। चार्जशीट उच्च न्यायालय नैनीताल में दाखिल है। इसी प्रकरण में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. निरंजन मिश्र को पूर्व में जेल हो चुकी है, जो जमानत पर छूटे हुये हैं। प्रोफेसर महावीर अग्रवाल भी जमानत पर हैं। ऐसे में डॉ. अग्रवाल को संस्कृत अकादमी हरिद्वार के प्रशासनिक अधिकारियों ने आंख बंद करके अखिल भारतीय संस्कृत शोध सम्मेलन का मुख्य अतिथि बनाया है। प्रो. निगमालंकार ने बताया कि जब देश में इस प्रकार के आपाराधिक प्रवृत्तियों वाले व्यक्तियों को उच्च पद पर बैठाकर सम्मानित किया जाएगा तो संस्कृत का उद्धार किस प्रकार होगा। उन्होंने अकादमी के सचिव गिरीश कुमार अवस्थी को अवगत कराने के लिए कई बार फोन मिलाने की कोशिश की तो कोई जवाब नहीं मिला। सम्मेलन के संयोजक डा. हरीश गुरुरानी को उन्होंने इस आशय से अवगत करा दिया है। यदि अभी भी मुख्य अतिथि पद से इन्हें नहीं हटाया जायेगा तो निगमालंकार का कहना है कि संस्कृत की रक्षा हेतु उन्हें आगे आना पड़ेगा और महामहिम राज्यपाल को पत्र लिखकर सूचित किया जाएगा।

आपराधिक धाराओं में आरोपित डॉ. महावीर अग्रवाल को संस्कृत अकादमी का मुख्य अतिथि बनाना गलतः प्रो. सत्यदेव


