साईलेंट वोटर दे सकते हैं मदन को झटका, सतपाल ने दिखाया दम

हरिद्वार। हरिद्वार विधानसभा सीट पर 20 वर्ष से कब्जा जमाए बैठे भाजपा प्रत्याशी मदन कौशिक को इस चुनाव में करारा झटका लग सकता है। हरिद्वार के साईलेंट वोटर कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल ब्रह्मचारी के पक्ष में मतदान का मन बना चुके हैं। अगर ऐसा हुआ तो मदन को दूसरी बार हार का सामना करना पड़ सकता है। पूर्व में वह मेयर प्रत्याशी अन्नू कक्कड़ के चुनाव की हार को देख चुके हैं।
बताते चलें कि साल 2002 में हरिद्वार सीट से जीतकर मदन कौशिक पहली बार विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन कांग्रेस की सरकार के होने के चलते मदन कौशिक कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाए। एक सामान्य विधायक की तौर पर मदन की भूमिका रही और जनसमस्याओं को उठाते रहे। लेकिन 2007 के चुनाव में भाजपा ने मदन कौशिक को दूसरी बार मैदान में उतारा और वह विपक्षी कांग्रेस के प्रत्याशी को बड़े अंतर से हराकर विधानसभा पहुंचे। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और मदन कौशिक को शहरी विकास, आबकारी व पर्यटन मंत्री के रूप में जिम्मेदारी दी गयी। इसी सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2010 में हरिद्वार कुंभ का आयोजन हुआ। यह कुंभ पर्व सरकार के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। केबिनेट मंत्री रहने के दौरान मदन कौशिक पर तमाम भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे। जिसमें हरिद्वार का लाईब्रेरी घोटाले का जिन्न अभी तक जिंदा है और यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। वहीं उनके चेले-चपाटों पर वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली योजना के घोटाले में मुकद्में तक दर्ज हैं। सरकार में मंत्री रहते मदन कौशिक का प्रभाव लगातार बढ़ता रहा। इतना ही नहीं कुछ भाजपा नेताओं का आश्रम-अखाड़ों की विवादित सम्पत्तियों में हस्तक्षेप होने लगा। वहीं व्यक्तिगत सम्पत्ति में लगातार बढ़ोतरी होनी शुरू हो गयी। लेकिन भाजपा के बूथ मैनेजमेंट के पुख्ता होने के कारण भाजपा यहां से वर्ष 2012 का चुनाव भी जीत गयी। इसी प्रकार वर्ष 2017 के चुनाव में भी बूथ मैनेजमेंट के जरिए बाजी मार गयी। अब हरिद्वार की जनता बूथ मैनेजमेंट को भली प्रकार समझ चुकी है। इसी के चलते मेयर के चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा।
कांग्रेस की प्रत्याशी रही अनिता शर्मा ने भाजपा की अन्नू कक्कड़ को लाख कोशिशों के बाद करारी शिकस्त दी। मेयर के इस चुनाव के बाद भाजपा का प्रभाव जनता पर कम हो चुका था। हरिद्वार की जनता मदन कौशिक के चुनाव जीतने के फामूले और दांव-पेंच भली प्रकार समझ चुकी है। यही कारण है कि वर्ष 2022 का चुनाव मदन के लिए अग्नि परीक्षा है। दोनों प्रमुख दलों कांग्रेस और भाजपा के बीच इस बार कड़ा मुकाबला है। जिस कारण से भाजपा प्रत्याशी फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहे हैं। साथ ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी होने के कारण उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।

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