अपराधी प्रवृत्ति के संतों को भी मुहैय्या है सुरक्षा, आम संत की कोई परवाह नहीं
हरिद्वार। तीर्थनगरी हरिद्वार संत बाहुल्य नगरी है। ऐसे में यहां संतों के बीच विवाद भी कोई नई बात नहीं हैं। आए दिन संतों के बीच कोई न कोई विवाद सामने आता ही रहा है। अधिकांश विवाद सम्पत्ति से जुड़े हुए हैं। सम्पत्ति के लालच में अभी तक कई संतों की हत्या भी की जा चुकी हैं। संतों पर जानलेवा हमले भी हो चुके हैं। बावजूद इसके सरकार इस मामले में कोई ठोस कार्यवाही करने से कतराती रही है। या यूं कहें की संतों से जुड़े मामलांे में सरकार दूरी बनाना ही उचित समझती है। ऐसा करना सरकार की अपना वोट बैंक बचाए रखने की मंशा हो सकती है।
हाल ही में कनखल स्थित पायलट बाबा आश्रम का विवाद सुर्खियों मंे है। आश्रम में तीन गुट बने हुए हैं। प्रत्येक गुट सम्पत्ति को लेकर घमासान मचाए हुए है। आश्रम के संत कर्ण गिरि पर दो बार हमले भी हो चुके हैं। आश्रम के कुछ कर्ताधर्ताओं पर गंभीर धाराओं में मुकदमें तक दर्ज हैं। बावजूद इसके वे खुलेआम घूम रहे हैं।
2 अप्रैल को भी पायलट बाबा आश्रम के संत स्वामी कर्ण गिरि पर कुछ बाउंसरों ने हमला किया। इससे पूर्व भी उन पर हमला हो चुका है। पुलिस ने मामला दर्ज किया और कार्य की इतिश्री कर दी। आश्रम में हर कोई डरा हुआ है की कब किस पर कौन व्यक्ति हमला कर दे। बावजूद इसके पुलिस प्रशासन कोई ठोस कार्यवाही करता दिखायी नहीं दे रहा है। कारण की सभी प्रभावशाली लोग हैं। शायद प्रशासन और सरकार की नींद तब टूटे जब कोई बड़ी घटना न घटित हो जाए।
वहीं सरकार और प्रशासन ऐसे संतों को भी संरक्षण देने का कार्य कर रहा है, जिन्होंने आश्रम पर कब्जा किया हुआ है। उनके आश्रम में सुरक्षा भी है। आए दिन मंत्री, मुख्यमंत्री और बड़े अधिकारी उनकी चौखट पर माथा टेकते हैं। उनके खिलाफ कोई भी शिकायत करने पर पुलिस प्रशासन पीडि़त की सुनने को तैयार नहीं है।
इतना ही नहीं कुछ माह पूर्व ठगी के आरोपित को महाराज ने अपने आश्रम में संरक्षण भी दिया हुआ था। वैस ठगी का आरोपित महाराज का खास है। ठगी के मामले मंे हरियाणा पुलिस आश्रम में आयी भी, किन्तु प्रभाव के चलते न तो बाबा पर और न ही लाखों की ठगी के आरोपित पर कोई कार्यवाही हुई।
भला पुलिस प्रशासन उस व्यक्ति के खिलाफ कैसे कोई कार्यवाही के लिए कदम बढ़ा सकता है, जिसके यहां सीएम, एमपी, एमएलए और बड़े अधिकारी आते हों। इतना ही नहीं सरकार ने ऐसे संत को सुरक्षा भी मुहैय्या करा रखी है। यहां तक की अपहरण के और अवैध कब्जों के आरोपित भगवाधारियों को भी सरकार ने सुरक्षा मुहैय्या करा रखी है। इन पर बलात्कार के प्रयास के आरोप में मुकदमें भी दर्ज हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि जब सरकार भगवाधारी अपराधियों को सुरक्षा मुहैय्या करा रही हो और अपराधी किस्म के भगवाधारियों के यहां नेता, मंत्री माथा टेकते हों तो आम आदमी न्याय की कैसे उम्मीद कर सकता है। आलम यह है कि भगवा की आड़ में यह कोई भी बड़े से बड़ा अपराध कर दें, किन्तु इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती, जबकि सरकारों का नारा है कि सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास। साथ ही सबको न्याय का भी सरकारें दावा करती हैं।
ऐसे में दोहरी नीति के कारण आम आदमी परेशान है। सवाल उठता है कि ऐसे में क्या पायलट बाबा आश्रम में चल रहे विवाद का पटाक्षेप आसानी से होना संभव नहीं दिखता।
संपत्ति के लिए हो चुकी कई संतों की हत्या
उत्तराखंड में पहले भी कई संतों की संपत्ति के लिए हत्या हो चुकी है। ऐसे की कुछ पुराने मामले पर एक नजर डालते है।
25 अक्टूबर 1991 को रामायण सत्संग भवन के संत राघवाचार्य आश्रम से निकलकर टहल रहे थे। तभी स्कूटर सवार लोगों ने उन्हें घेरकर पहले गोली मारी, फिर चाकूओं से गोद दिया था। इस मामले में 21 दिन बाद एक की गिरफ्तारी की गई थी।
09 दिसम्बर 1993 को रामायण सत्संग भवन के ही स्वामी व संत राघवाचार्य आश्रम के साथी रंगाचार्य की ज्वालापुर में हत्या कर दी गई। अब सत्संग भवन में सरकारी पहरा है और उस पर रिसीवर तैनात है।
सुखी नदी स्थित मोक्षधाम की करोड़ों की संपत्ति : 1 फरवरी 2000 को ट्रस्ट के सदस्य गिरिश चंद अपने साथी रमेश के साथ अदालत जा रहे थे। पीछे से एक जीप ने टक्कर मारी, जिसमें रमेश मारे गये। पुलिस ने स्वामी नागेन्द्र ब्रह्मचारी को सूत्रधार मानते हुए जेल भेज दिया था। बेशकीमती कमलदास की कुटिया पर भी कई लोगों की नजर रही। लोगों के बीच झगडे़ भी हुए, लेकिन वो संपत्ति आज तक किसी को भी नहीं मिल पाई। आज भी कमलदास की कुटिया पर पुलिस का पहरा है।
चेतनदास कुटिया में तो अमेरिकी साध्वी प्रेमानंद की दिसंबर 2000 में लूटपाट कर हत्या कर दी गई। कुछ स्थानीय लोग पकड़े गये गए थे। आज भी मामला चल रहा है।
5 अप्रैल 2001 को बाबा सुरेन्द्र बंगाली की हत्या की गई थी।
इसके अलावा 16 जून 2001 को हरकी पैड़ी के सामने टापू में बाबा विष्णु गिरी समेत चार साधुओं की हत्या हुई थी।
26 जून 2001 को ही एक अन्य बाबा ब्रह्मानंद की हत्या हुई थी।
इसी साल पानप देव कुटिया के बाबा ब्रह्मदास को दिनदहाड़े गोली मार कर हत्या की गई थी।
17 अगस्त 2002 बाबा हरियानंद व उनके चेले की हत्या।
एक अन्य संत नरेन्द्र दास की भी हत्या की गई थी। पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था।
06 अगस्त 2003 को संगमपुरी आश्रम के प्रख्यात संत प्रेमानंद उर्फ भोले बाबा गायब हुए थे। सात सिंतबर 2003 को पुलिस ने हत्या का खुलासा किया। आरोपी गोपाल शर्मा पकड़ा गया। अब आश्रम सील है।
28 दिसम्बर 2004 को संत योगानंद की हत्या। हतायारों का पता आज तक नहीं चला।
15 मई 2006 को पीली कोठी के स्वामी अमृतानंद की हत्या। संपत्ति पर सरकारी कब्जा।
25 नवंबर 2006 को सुबह इंडिया टेम्पल के बाल स्वामी की गोली मारकर हत्या। तीन लोग गिरफ्तार हुए।
08 फरवरी 2008 को निरंजनी अखाड़े के 7 साधुओं को जहर दिया गया था। सभी की जान बच गई थी। लेकिन आज तक कोई आरोपी पकड़ा नहीं गया।
14 अप्रैल 2012 निर्वाणी अखाड़े के महंत सुधीर गिरि की हत्या। इसमें स्थानीय कुछ भू माफिया गिरफ्तार हुए थे, जो अब जेल से बाहर है।
26 जून 2012 तिहरे हत्याकांड ने न सिर्फ हरिद्वार पुलिस-प्रशासन, बल्कि शासन और सरकार तक को हिला दिया था। हरिद्वार के लक्सर में हनुमान मंदिर के अंदर देर रात तीन संतों की हत्या की गई ती। पुलिस इस मामले को भी सम्पति विवाद बता रही थी। इसमें दो गिरफ्तार हुई थी।
साल 2018 में पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा के कोठारी महंत मोहन दास गायब हुए थे, जिनका आजतक कुछ पता नहीं चल पाया। पुलिस आज तक उनकी तलाश कर रही है।
अक्टूबर साल 2024 में कनखल के ही श्रद्धा भक्ति आश्रम के संत के साथ कुछ लोगों ने पहले नजदीकियां बढ़ाई और उसके बाद उनकी हत्या कर दी। पुलिस की जांच में हत्या की वजह से करोड़ों रुपए संपत्ति ही बताया गया। पुलिस को 17 अक्टूबर को ही महंत के लापता होने की सूचना मिली थी। जब मामले की जांच की गई तो हत्या की बात सामने आई। पुलिस ने इस मामले में यूपी, उत्तराखंड और दिल्ली के कई लोगों को गिरफ्तार किया था।