हरिद्वार। देनदारी से बचने के लिए तीर्थनगरी एक संत को तीन दिन की फरारी काटने को मजबूर होना पड़ा। संत को भाजपा के एक स्थानीय नेता ने अपने यहां शरण दी। मामला शांत होने के बाद संत ने अपने मठ में वापसी की।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तीर्थनगरी के एक बड़े संत ने कुछ लोगों से कार्य कराने की एवज में लेनदेन किया था। काम न होने पर रकम वापस करनी थी, किन्तु संत महाशय रकम देने को लेकर टालमटोल कर रहे थे। इसी बीच बात बिगड़ गयी। जब बात बढ़ी तो संत ने अपनी फजीहत से बचने के लिए अपनी कुटिया से दूरी बनाना ही उचित समझा। संत को भाजपा के एक स्थानीय नेता ने अपने यहां शरण दी। तीन दिन नेताजी के यहां बिताने के बाद संत अपनी कुटिया में वापस लौटे। बता दें कि विगत दो वर्ष पूर्व भी एक कारोबारी को एक सम्पत्ति दिलाने के नाम पर उनसे मोटी रकम ली थी। काफी समय बीतने के बाद जब व्यवसायी को सम्पत्ति नहीं मिल तो उसने अपने पैसे वापसी की मांग की। जिसको लेकर संत टालमटोल करते रहे। थक हारकर व्यवसायी काफी लोगों को साथ लेकर संत के आश्रम जा पहुंचा और जमकर खरी-खोटी सुनायी। मामला बढ़ता देख पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी को बीच बचाव करना पड़ा। पुलिस अधिकारी ने संत को धमकाते हुए चेतावनी दी की यदि पैसा लिया है तो वापस तो अवश्य करना पड़ेगा। अन्यथा आपके खिलाफ कार्यवाही करनी पड़ेगी। इसके बाद कई किस्तों में व्यवसायी के पैसे वापस किए गए। अब फिर इसी झमेले में संत फंसे और उन्हें बचने के लिए तीन दिनों की फरारी काटनी को मजबूर होना पड़ा।

देनदारी से बचने के लिए हरिद्वार के एक संत ने काटी तीन दिन की फरारी, भाजपा नेता ने संत को दी शरण


