हरिद्वार। भगवान दक्ष की नगरी कनखल में एक नेष्टिक संत पिता क्या बना, उस पर मुसीबतों को पहाड़ टूट पड़ा। नेष्टिक संत के पिता बनने की खबर आश्रमवासियों को लगते ही उसे वहां से निकाल दिया गया। जिसके बाद उसने उत्तरी हरिद्वार के एक आश्रम में शरण ली। जहां उसे कुछ जिम्मेदारी दी गयी। जिम्मेदारी मिलने पर संत ने हेराफेरी का खेल शुरू कर दिया, जिस कारण उसे वहां से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
बता दें कि कनखल के एक प्रतिष्ठित आश्रम में एक नेष्टिक संत काफी समय से निवास करता था। इसी दौरान एक भगवाधारण करने वाली एक महिला से उसकी मुलाकात हो गयी और इसी दौरान दोनों के बीच आंख चार हो गयी। और कुछ समय बात नेष्टिक संत पिता बन गया। बताते हैं कि साध्वी ऋषिकेश में निवास करती है।
संत के पिता बनने की खबर जब आश्रमवासियों का लगी तो उन्होंने आश्रम की बदनामी से बचने के लिए लम्बे समय से आश्रम में रह रहे संत को बाहर का रास्ता दिखा दिया। अब बेचारा नया-नया बाप बना संत क्या करता। उसने उत्तरी हरिद्वार के एक आश्रम में जाकर शरण ली। जहां उसे आश्रम में निवास करने की एवज् में कुछ जिम्मेदारी दी गयी। सूत्र बताते हैं कि आश्रम में आने वाले श्रद्धालुओं से मिलने वाले दान की रसीद काटने पर संत कुछ पैसे अपनी जेब में रखने लगा। जिसकी जानकारी आश्रम के स्वामी को होने पर उन्होंने संत को वहां से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया। सूत्र बताते हैं कि अब संत अपने पुत्र के पास ऋषिकेश में रह रहा है और हरिद्वार में आश्रम खरीदने की जुगत में है। सूत्र बताते हैं कि पिता बनने के बाद संत परेशान है और दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर है।


पिता बनने पर संत पर टूटा मुसीबातों को पहाड़, जहां गया वहीं से निकाला
