वेद सनातन संस्कृति का आधारः विश्वेश्वरानंद

सूरतगिरि बंगला में तीन दिवसीय क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन का शुभारम्भ
हरिद्वार।
श्री सूरत गिरि बंगला गिरिशानंदाश्रम में शुक्रवार से तीन दिवसीय क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन उत्तर भारत का शुभारम्भ हुआ। सम्मेलन में चर्चा का विषय था वैदिक संस्कृत और सनातन धर्म। कार्यक्रम का शुभारम्भ विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूरी, पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण, सूरत गिरि बंगला के परमाध्यक्ष महामण्डलेश्वर आचार्य स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज, प्रो. विरूपाक्ष वि. जड्डीपाल, प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी, प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।


कार्यक्रम के विधिवत शुभारम्भ से पूर्व संस्कृत शोभायात्रा निकाली गई, जो सूरतगिरि बंगला आश्रम से आरम्भ होकर शहर के मुख्य मार्गांे संे होती हुई पुनः आश्रम पहुंचकर सम्पन्न हुई।


कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सूरत गिरि बंगला के परमाध्यक्ष महामण्डलेश्वर आचार्य स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज ने आश्रम में आए सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहाकि सनातन संस्कृति का आधार ही वेद हैं। उन्होंने कहाकि जिन रहस्यों से आज वैज्ञानिक पर्दा उठाने का कार्य कर रहे हैं वह हमारे वेदों में असंख्य वर्षों पूर्व लिखा हुआ है। उन्हांेंने कहाकि सनातन सस्कृति में आज जो ह्ास देखने को मिल रहा है उसका मुख्य कारण है कि अपनी वैदिक परम्परा से दूर होते हुए पश्चिम की सभ्यता की ओर अन्मुख होना। उन्होंने कहाकि वैदिक संस्कृति ही कल्याणकारक है।


महर्षि संादीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान उज्जैन के सचिव प्रो. विरूपाक्ष वि. जड्डीपाल ने वेदों के संवर्धन व संस्कारों के उन्नयन पर बल दिया। उत्तराखण्ड संस्कृत विवि के पूर्व कुलपति प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी ने आज के समय में वैदिक संस्कृति के संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया।
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूरी ने मातृत्व और वेद हमारे किस प्रकार से मार्गदर्शन करते चले आ रहे के संबंध में अपने उद्गार व्यक्त किए। इस अवसर पर नगर विधायक मदन कौशिक, स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश, स्वामी ललितानंद गिरि महाराज समेत कई प्रदेशों से आए वैदिक विद्वान, छात्र व आश्रमस्थ संत व विद्यार्थी मौजूद रहे।

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