हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि की मौत के बाद दो फाड़ हुई अखाड़ा परिषद के बीच अभी असली और नकली की जंग छिड़ी हुई। दोंनो ही गुट बहुमत का आंकड़ा अपने पक्ष में होने का दावा कर रहे हैं। वहीं दो फाड़ हुई अखाड़ा परिषद के दूसरे गुट को एक और जोर का झटका लग सकता है। एक और अखाड़े के टूटकर दूसरे गुट में शामिल होने की संभावना है। बता दें कि दो फाड़ हुई अखाड़ा परिषद के पहले गुट में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी, श्री पंचायती अखाड़ा अटल, बैरागियों के तीनों अखाड़े, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन व श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल शामिल हैं। जबकि दूसरे गुट में जूना, आवाह्न, अग्नि, निरंजनी व आन्नद शामिल हैं। वहीं दूसरा गुट बैरागी और निर्मल अखाड़े के समर्थन का भी दावा कर रहा है। इन दोनों अखाड़ों के वे संत शामिल हैं जिन्हंे न तो परिषद मंे वोट देने का अधिकार है और न ही वे किसी पद पर हैं। इसके साथ ही एक का तो अखाड़े से कोई वास्ता ही नहीं है। साथ ही निर्मल अखाड़े ने समर्थन देने वाले संत सहित 11 लोगों के खिलाफ वर्ष 2019 में कनखल थाने में मुकद्मा दर्ज करवाया हुआ है। ऐसे में दूसरा गुट भले ही बहुमत का दावा करता है, किन्तु उसके पास कुल छह अखाड़ों का ही समर्थन हासिल है। इसके साथ ही अब यह संख्या शीघ्र ही पांच हो सकती है। सूत्र बताते हैं कि शीघ्र ही दूसरे गुट में शामिल एक अखाड़े के संत अपनी उपेक्षा और कुछ लोगों की मनमानी के कारण त्रस्त हैं। जिस कारण से वे अपना समर्थन पहले गुट को देने पर विचार कर रहे हैं। इस संबंध में अखाड़े के वरिष्ठ संतों की इसी सप्ताह बैठक होने वाली है। जिसमें पहले गुट को समर्थन देने पर विचार किया जाएगा। यदि ऐसा होता है तो दूसरे गुट के पास केवल पांच ही अखाड़ों का समर्थन रह जाएगा और बहुमत का जो दावा उनके द्वारा किया जा रहा है, उसकी वास्तविकता भी सामने आ जाएगी। बता दें कि संतों की बैठक प्रदेश से बाहर दूसरे राज्य में होगी। जिसकी तैयारियां की जा चुकी हैं।