हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व प्रयागराज स्थित बाघम्बरी गद्दी के श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि की संदिग्ध मौत के बाद अब लेनदार परेशान हैं। कुछ लेनदार तो सामने आ रहे हैं, किन्तु कुछ जांच के डर से छिपे हुए हैं। बावजूद इसके अब लेनदार कहने लगे हैं कि जब वसीयत के मुताबिक उनके शिष्य को विरासत सौंप दी गयी है और गद्दी का मालिक बना दिया गया है तो नरेन्द्र गिरि द्वारा लोगों से लिए गए रुपयों को लौटाने की जिम्मेदारी भी उत्तराधिकारी की ही बनती है।
सूत्र बताते हैं कि कुछ दिन पूर्व कुछ लेनदार प्रापर्टी डीलर अखाड़ों के संतों से मिले थे और जमीन देने की एवज में ली गयी रकम को वापस लौटाने की बात कही थी, किन्तु उन्हें टका सा जवाब देकर विदा कर दिया गया था कि जिसने रकम ली है उससे वापस लो। जिसके बाद प्रापर्टी डीलर चले आए। सूत्र बताते हैं कि प्रापर्टी डीलरों ने पुनः अखाड़े के संतों से बलवीर पुरी का पट्टाभिषेक होने के बाद सम्पर्क किया। उनका कहना था कि जब बलवीर पुरी को वसीयत के मुताबिक उनका उत्तराधिकारी बना दिया गया है तो ऐसे में उनकी रकम को भी उत्तराधिकारी को ही लौटाना चाहिए। सूत्र बताते हैं कि बावजूद इसके प्रापर्टी डीलरों को कोई जवाब नहीं दिया गया। वहीं कुछ संतों का कहना है कि जब उत्तराधिकारी को सब कुछ सौंप दिया गया है तो लेनदारों को उनकी रकम लौटानी चाहिए। यदि मठ रकम लौटाने में असमर्थ है तो इसकी भरपाई उनकी मढ़ी से की जानी चाहिए। बहरहाल प्रापर्टी डीलर परेशान हैं। उनको अब अपनी रकम वापल मिलने की उम्मीद कम नजर आने लगी है।