सम्पत्ति के चक्कर में एक-दूसरे से बंधे हैं गुरु-चेला, कई और भी लपेटे में

हरिद्वार। विगत दिनों चेले की पैरवी करने पर लताड़ खाने वाला गुरु न तो अपने चेले का है और न ही चेला गुरु का। कुल मिलाकर सम्पत्ति के चक्कर में एक-दूसरे से बंधे हुए हैं। इतना ही नहीं सम्पत्ति के इस खेल में और भी कई भगवाधारी शामिल हैं, जिनमें से एक जेल में बताया जा रहा है और जेल से बाहर न आने देने में भी कुछ भगवाधारियों की बड़ी भूमिका है।


बताते हैं कि अपराधिक प्रवृत्ति के चेले के बचाव में गुरु के आने का खास कारण है। जहां चेले ने सम्पत्ति के चक्कर में गुरु बनाया वहीं गुरु भी सम्पत्ति के फेर में चेले के जाल में फंसा हुआ बताया गया है। हालांकि गुरु को इस बात का पता चल चुका है की सम्पत्ति को लेकर ही उसे घेरा गया था, जिस कारण से वह सर्तक हो चुका है। हालांकि सम्पत्ति पर गुरु भी कब्जाधारी है।
सूत्र बताते हैं कि कुछ भगवाधारियों ने कनखल में एक सम्पत्ति का सौदा करने के नाम पर करोड़ों रुपये पेशगी ले लिए। जिस सम्पत्ति के एवज में करोड़ांे लिए गए वह विवादित है और न्यायालय में वाद विचाराधीन है। जिस कारण सम्पत्ति बिक नहीं सकती। हालांकि सम्पत्ति के एक हिस्से का सौदा कर लिया गया था, किन्तु कानूनी पचड़ों के कारण वह भी नहीं बिक सकी। उधर सम्पत्ति के करोड़ों रुपये आने पर सभी मिल बांटकर खाने को तैयार हो गए और आए हुए रुपयों की बंदरवांट भी कर ली गई। इनमें से कनखल की एक दूसरी सम्पत्ति पर तो रुपये न मिलने पर एक व्यक्ति ने कब्जा तक कर लिया और बाबा कुछ भी नहीं कर पा रहा।


सूत्र बताते हैं कि एक भगवाधारी के नाम पर भी करोड़ों रुपये सामूहिक रूप से मिलकर आर्थिक अपराध करने वालों ने लिए। जिसका पैसा आज तक वापस नहीं किया गया। हालांकि देनदार अपना उधारी दिया पैसा मांगकर परेशान हो चुका है, किन्तु भगवा धारण कर आर्थिक अपराध करने वालों पर इसका कोई असर नहीं हुआ। सूत्र बताते हैं कि जिस भगवाधारी को आड़ बनाकर रुपया लिया गया, वह अभी भी जेल में बंद है।


उधर सूत्रों की माने तो भगवे की आड़ में आर्थिक अपराध करने वालों ने सम्पत्ति के नाम पर आए रुपये में से कुछ की बंदरवांट कर ली और कुछ पैसा एक भगवाधारी ने अपने पिता के नाम पर अस्पताल बनाने की बात कहकर ठिकाने लगा दिया। सम्पत्ति के नाम पर आए धन की बंदरवांट हो जाने और सम्पत्ति की बिक्री न होने के कारण अब पेशगी देने वाले लोग भगवाधारी पर दबाव बना रहे हैं।


सूत्रों की माने तो जब लेनदार दबाव बनाते हैं तभी बाबा को गंभीर बीमारी हो जाती है और वह सीधे अस्पताल में भर्ती हो जाता है। यह सिलसिला काफी समय से चल रहा है। हालांकि गुरु, चेला, मंहत, श्रीमहंत कोई भी एक-दूसरे को पसंद नहीं करते। समय मिलने पर एक-दूसरे की बुराई करते सुने जा सकते हैं, किन्तु पैसे ने एक-दूसरे को बांधे हुआ है। सूत्र बताते हैं कि पैसा ही एक-दूसरे की पोल पट्टी न खुले इसकी बड़ी वजह है। जिस दिन पैसों का हिसाब बिगड़ा, सड़क पर जूतर पैजार होना लाजमी है। इसके लिए समय या फिर जेल वाले बाबा के बाहर आने का इंतजार करना होगा।

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