हरिद्वार। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि पुरुषों में उत्तम भगवान श्रीराम ने मर्यादा की एक नई मिसाल गढ़ी है। उन्होंने उपासना, साधना के माध्यम से समाज को एक नई दिशा देने के लिए अनेक परीक्षाएं देते हुए आगे बढ़े। वर्तमान समय में भी मनोयोगपूर्वक की गयी उपासना, साधना से अनेक झंझावतों से बचा जा सकता है।
गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. पण्ड्या रामचरित मानस में संत और असंत का स्वरूप विषय पर नवरात्र साधना में देश-विदेश के जुटे साधकों को ऑनलाइन सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम शरणार्थ भाव से आने वाले सभी जीवों की रक्षा करते हैं। उसका उद्धार करने के लिए हर संभव प्रयत्न करते हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम ने मित्रता की भी एक नई परिभाषा देते हुए स्वयं अपनाकर बताया कि निःस्वार्थ भाव से मित्र, सखा के हर सुख-दुःख में साथ रहना घाटे का सौदा नहीं होता है। डॉ. पण्ड्या ने कहा कि संत प्रवृत्ति के लोग कभी किसी का नुकसान करने के बारे न ही कभी सोचते हैं और न ही कभी विचार करते हैं। वे सदैव दूसरे का सहयोग ही करते हैं। जबकि असंत प्रवृत्ति के लोग स्वार्थ भाव से ही सहयोग एवं मित्रता करते हैं। उसके मन में कुटिलता भरी होती हैं। ऐसे असंत प्रवृत्ति के लोगों से हमें सदैव सावधान चाहिए।
डॉ. पण्ड्या ने कहा कि ऋषियुग्म पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने जीवन भर दूसरों की सेवा, सहयोग एवं उसके विकास के लिए कार्य किया है। उन्होंने अपनी कठोर तप की शक्ति भी पीड़ितों की रक्षा में लगा दी। उन सद्गुरु की प्रेरणा एवं तप ऊर्जा से प्रेरित गायत्री परिवार अपने लक्ष्यों के प्रति बढ़ रहा है।

प्रभु श्रीराम ने रखी मर्यादा की नई मिसालः डॉ पण्ड्या


