माताओं को सन्तानों से बहुत प्रेम होता है। सन्तान के अभाव में मातायें बहुत दुःखी रहती हैं। वन्ध्यापन को दूर करने वाले तथा सन्तानोत्पत्ति के कुछ योग।
सन्तान न उत्पन्न होने के अनेक कारण हैं कई बार पुरुषों की न्यूनता (रोगी होने) के कारण सन्तान नहीं होती। चिकित्सा व्यर्थ में स्त्रियों की कराते रहते हैं। वन्ध्यत्व का मुख्य कारण तो स्त्रियों के मासिक धर्म की गड़बड़ी ही है, इसलिये इसकी चिकित्सा सर्वप्रथम वैद्य को करनी चाहिये।
कुमार्यासव और अशोकारिष्ट के लगातर सेवन से मासिक धर्म तथा श्वेतप्रदरादि रोग दूर होते हैं।
जब मासिक धर्म ठीक हो जाये तो तत्पश्चात निम्न योग का प्रयोग करें।
1ः- योग
पीपल की दाढी, अश्वगंध नागौरी, शतावर, कौंच के बीज, गोखरू, विधारा के बीज (शुद्ध), पीपल बड़ा, सब एक-एक तोला लेकर कूटकर कपड़छानकर लें तथा सब के समभाग अर्थात 7 तोले खांड देशी व मिश्री मिला लें।
मात्राः-
3 माशे से 6 माशे तक गाय के दूध से साथ प्रातःकाल सायंकाल दोनों समय सेवन करें, पुरुष को भी सेवन करायें।
मासिक धर्म की निवृत्ति के 11 दिन पश्चात सन्तानोत्पत्ति के लिए शास्त्रविधि से अनुसार गर्भाधान करें।
यदि सन्तानोपत्ति में सफलता न मिले तो इस औषध का सेवन करते हुए स्त्री और पुरुष छह माह ब्रह्मचारी रहें। निश्चय से सन्तान की उपलब्धि होगी।
2ः- पीपल की दाढी 10 तोले तथा अश्वगंध नागौरी 10 तोले तथा 20 तोले देशी खांड लेवें। सबको कूटकर कपड़छान कर लें।
मासिक धर्म से निवृत्ति के पीछे दस ग्यारह दिन तक व अधिक स्त्री पुरुष दोनों सेवन करें।
3ः- पीपल की जटा 5 तोले, हाथी दांत का चूर्ण आधी छटांक दोनों कूटकर कपड़छान कर लें। मासिक धर्म से निवृत हो स्नान करें, फिर प्रतिदिन रात्रि को सोते समय 4 माशे चूर्ण गाय के दूध से साथ सेवन करें। हो सकता है पहली बार के सेवन से सन्तानोपत्ति हो जायेगी।
प्रथम मास में यदि सफलता न मिले तो फिर इसी औषध का दूसरे मास इसी प्रकार सेवन करायें, अवश्य ही सफलता मिलेगी।
4ः- पीपल की दाढ़ी एक-एक पाव, खांड देसी एक पाव दोनों को कूट छानकर मिला लें। स्त्री-पुरुष दोनों ही मात्रा 6 माशे से एक तोले तक गाय के धारोष्ण व गर्म दूध के साथ 15 दिन सेवन करें। मासिक धर्म की निवृत्ति के पश्चात् 8 वा 9 दिन पीछे गर्भाधान संस्कार करें। ईश्वर कृपा से सन्तान की प्राप्ति होगी।
5ः- पीपल के फल (पीपलवटी) को छाया में सुखाकर कपड़ छान करके रखें। इसमें समभाग मिश्री मिला लें और मात्रा 1 तोला प्रातः सायं धारोष्ण गो दुग्ध के साथ स्त्री-पुरुष दोनों लेवें। यह औषध मासिक धर्म के पीछे लेवें। प्रथम मास में ईश्वर कृपा करेंगे। दूसरे तीसरे मास तक तो निश्चय से सफलता मिलेगी।
6ः- पीपल के फल 10 तोले, अश्वगन्ध नागौरी 10 तोले, दोनों को कपड़छान कर लें। समभाग खांड वा मिश्री मिला लें। फिर मासिक धर्म से निवृत्त होकर 15 दिन तक स्त्री पुरुष इसे धारोषण दूध के साथ प्रातः-सायं 6 माशे से एक तोले तक लेते रहें । पूर्व की भांति सेवन करते हुए प्रथम वा द्वितीय मास शास्त्र की विधि के अनुसार गर्भाधान संस्कार करने से सन्तान की प्राप्ति होगी।
7ः- पीपल के सूखे फलों के चूर्ण की फांकी कच्चे दूध के साथ देने से स्त्री का बांझपन रोग मिट जाता है। किन्तु यह औषध ऋतुधर्म के पश्चात 14 दिन तक देनी चाहिये।
Dr.(Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
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