पायलट बाबा पुण्यतिथि समारोह: कहीं खुशी तो कहीं गम

हरिद्वार। महायोगी पायलट बाबा की रविवार को प्रथम पुण्यतिथि उनके कनखल स्थित आश्रम में मनायी गयी। सभी अंखाड़ों के संतों, महंतांे ने पायलट बाबा को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उनकी यशकीर्ति का बखान किया। इसी के साथ आश्रम में चल रहे विवाद की भी चर्चा चली, किन्तु चर्चा में जो कुछ संत चाह रहे थे वह नहीं हुआ, जिस कारण से कहीं खुशी और कहीं गम का माहौल देखने को मिला।


उल्लेखनीय है कि विगत वर्ष पायलट बाबा ब्रह्मलीन हो गए थे। उनके ब्रह्मलीन होने के बाद से ही आश्रम में वर्चस्व की जंग चल रही है। कुछ संतों के खिलाफ वारंट भी जारी हैं। कुछ पर मुकदमें दर्ज हुए हैं और झगड़ा तो आश्रम में आए दिन का काम बन गया है। हालात यह है कि आश्रम में संतों और भक्तों के तीन गुट बने हुए हैं और प्रत्यंेक गुट अपने को पाक-साफ बताने पर तुला हुआ है। जबकि वास्तविकता में सभी का ध्येय केवल एक ही है की कैसे आश्रम पर उनका अधिकार हो।


खैर बात करते हैं विवाद के निपटारे की। सूत्र बताते हैं कि श्रद्धांजलि समारोह के बाद आश्रम में चल रहे विवाद को लेकर भी चर्चा हुई। चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए वार्तालाप के माध्यम से विवाद को निपटाने का प्रस्ताव भी गुप्त रूप से एकांत में आया।
सूत्रों के मुताबिक पुण्यतिथि में केवल एक ही गुट मौजूद था, जबकि वार्ता के लिए सभी गुटों का होना जरूरी है। ऐसे में जब बात श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज के समक्ष आयी तो उन्होंने यह कहकर कुछ के अरमानों पर पानी फेर दिया की यहां तो केवल एक ही गुट के संत और भक्त हैं, जबकि विवाद के पटाक्षेप के लिए सभी गुटों को होना चाहिए। इतना कहने मात्र से कुछ के अरमानों पर पानी फिर गया और किसी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।


वहीं सूत्रों के मुताबिक एक गुट ऐसा भी था, जिसे प्रतिमाह एक मोटी रकम आश्रम के कुछ संतों द्वारा दी जाती है। वह इसलिए की आश्रम में चल रहे विवाद की चर्चा बाहर न हो और यदि होती है तो उसे वह नियंत्रित करने का कार्य करे। इसके साथ जो सबूत उस व्यक्ति के पास मौजूद हैं वह उनका इस्तेमाल उनके खिलाफ न करे।

सूत्र बताते हैं कि जिन सबूतों को माध्यम बनाकर प्रतिमाह ऐश के लिए धन की प्राप्ति की जा रही है उन कागजातों को व्यक्ति ने केवल देखने के लिए एक अन्य व्यक्ति से लिया था, किन्तु वहीं कागजात उसके लिए दूध देने वाली गाय साबित हो गए। खैर मामले का पटाक्षेप तो एक दिन होना है, किन्तु मुफ्त का चंदन लगाने वालों की भी पोल खुलना तय है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *